Edited By Anu Malhotra,Updated: 12 Dec, 2025 10:36 AM
राज्यसभा में गुरुवार को कांग्रेस सांसद अजय माकन ने देश में लोकतंत्र की स्थिति और राजनीतिक दलों की वित्तीय असमानता को लेकर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि किसी भी जीवंत लोकतंत्र की सफलता तीन स्तंभों पर निर्भर करती है – समान अवसर, पारदर्शिता और...
नेशनल डेस्क: राज्यसभा में गुरुवार को कांग्रेस सांसद अजय माकन ने देश में लोकतंत्र की स्थिति और राजनीतिक दलों की वित्तीय असमानता को लेकर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि किसी भी जीवंत लोकतंत्र की सफलता तीन स्तंभों पर निर्भर करती है – समान अवसर, पारदर्शिता और भरोसेमंदी। माकन ने आरोप लगाया कि वर्तमान NDA सरकार इन बुनियादी मानकों पर खरा नहीं उतरती।
सांसद माकन ने अपने बयान में अपनी भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि वे कांग्रेस के कोषाध्यक्ष भी हैं और पिछले कई वर्षों से पार्टी के आय-व्यय की जानकारी सार्वजनिक रूप से साझा करते रहे हैं। उन्होंने चुनाव आयोग की वेबसाइट के माध्यम से अन्य दलों के वित्तीय विवरण का भी अध्ययन किया।
माकन ने कहा कि 2004 से 2014 तक कांग्रेस और BJP के वित्तीय अनुपात लगभग 60:40 के आसपास रहा, लेकिन 2019 के बाद यह अनुपात बेहद असमान हो गया। उन्होंने बताया कि 2019 में यह अनुपात 8:92 तक पहुंच गया, और बीजेपी की आय में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। उनका सवाल था कि क्या यह सच में समान अवसर है?
वित्तीय ताकत में भारी अंतर
माकन ने कांग्रेस और बीजेपी की वित्तीय स्थिति का समय-क्रम बताया:
2004: कांग्रेस – 38 करोड़, बीजेपी – 88 करोड़
2009: कांग्रेस – 221 करोड़, बीजेपी – 150 करोड़
2014: कांग्रेस – 390 करोड़, बीजेपी – 295 करोड़
2019: कांग्रेस – 315 करोड़, बीजेपी – 3,562 करोड़
2024: कांग्रेस – 133 करोड़, बीजेपी – 10,107 करोड़
उन्होंने कहा कि इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि 2004 से 2024 तक BJP की आर्थिक क्षमता में जबरदस्त वृद्धि हुई, जबकि कांग्रेस का बैलेंस अपेक्षाकृत स्थिर और कम रहा।
चुनाव से पहले कांग्रेस को वित्तीय दबाव
माकन ने आरोप लगाया कि 2024 के आम चुनाव से पहले कांग्रेस के बैंक खाते सील कर दिए गए थे, जबकि आयोग और आयकर विभाग से स्पष्ट जवाब नहीं मिला। उन्हें बताया गया कि 133 करोड़ रुपए के खाते पर आयकर नोटिस जारी हुआ, और आखिरकार चुनावी तैयारी के लिए खाते 23 मार्च को खोले गए। उन्होंने सवाल उठाया कि इस परिस्थिति में विपक्षी दल किस तरह से चुनाव की तैयारी कर सकता है।
उद्योगपतियों में डर का माहौल
अजय माकन ने दावा किया कि बड़े उद्योगपति अब कांग्रेस को चंदा देने में डर महसूस करते हैं, क्योंकि ऐसा करने पर ED और Income Tax Department की कार्रवाई का खतरा रहता है। उन्होंने कहा कि जब सत्तारूढ़ दल के पास विपक्ष की तुलना में लगभग 75 गुना अधिक वित्तीय संसाधन हों, तो लोकतंत्र की प्रतिस्पर्धा कैसे सही ढंग से सुनिश्चित हो सकती है।
चुनाव आयोग और पारदर्शिता
माकन ने चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाया। उन्होंने हरियाणा में हाल ही में हुए चुनाव का उदाहरण दिया, जहां मतदान प्रतिशत को लगातार बढ़ाया गया बताया गया। इसके अलावा, कर्नाटक के अलंग विधानसभा क्षेत्र में हजारों मतदाताओं के नाम हटा दिए गए और जाली आवेदन भी पाए गए, लेकिन आयोग ने इस पर पर्याप्त जवाब नहीं दिया। सांसद माकन ने आरोप लगाया कि सरकार संवैधानिक संस्थाओं का उपयोग अपने लाभ के लिए कर रही है, और लोकतंत्र की मूलभूत शर्तें खतरे में हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि लोकतंत्र तभी मजबूत रह सकता है जब समान अवसर, पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित की जाए।