‘ये मोदी वॉर है!’ – ट्रंप के सलाहकार ने रूस-यूक्रेन जंग के लिए भारत को ठहराया जिम्मेदार

Edited By Updated: 28 Aug, 2025 08:55 AM

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्हाइट हाउस सलाहकार पेटर नवैरो ने भारत को लेकर एक बड़ा बयान देकर नई कूटनीतिक बहस छेड़ दी है। उन्होंने भारत द्वारा रूस से सस्ते तेल की खरीद को लेकर भारत को यूक्रेन युद्ध के लिए आंशिक रूप से जिम्मेदार ठहराते हुए इस...

वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्हाइट हाउस सलाहकार पेटर नवैरो ने भारत को लेकर एक बड़ा बयान देकर नई कूटनीतिक बहस छेड़ दी है। उन्होंने भारत द्वारा रूस से सस्ते तेल की खरीद को लेकर भारत को यूक्रेन युद्ध के लिए आंशिक रूप से जिम्मेदार ठहराते हुए इस संघर्ष को "मोदी का युद्ध" तक कह दिया। एक इंटरव्यू में नवैरो ने कहा कि भारत की यह तेल खरीद मॉस्को की जंग मशीन को फंड दे रही है और इसका खामियाजा अमेरिकी टैक्सपेयर्स को उठाना पड़ रहा है।

अगर भारत रूस से तेल खरीद बंद करे तो 25% टैरिफ में राहत मिल सकती है
नवैरो के इन बयानों के साथ ही भारत पर ट्रंप सरकार द्वारा लगाए गए 50% आयात शुल्क का नया चरण लागू हो गया है। उन्होंने कहा कि अगर भारत चाहे तो वह रूस से तेल खरीद बंद करके अगले ही दिन 25% टैरिफ राहत पा सकता है। नवैरो ने कहा- यह बहुत आसान है, भारत अगर युद्ध की फंडिंग बंद कर दे तो उसे तुरंत राहत मिल सकती है। हालांकि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता की तारीफ करते हुए भारत को 'परिपक्व लोकतंत्र' बताया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि भारत इस मामले में अहंकारी रवैया अपना रहा है।

मोदी का युद्ध: नवैरो का तीखा बयान
नवैरो ने भारत की नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि भारत सस्ते रूसी तेल की खरीद करके रूस को यूक्रेन में युद्ध जारी रखने में मदद कर रहा है। उन्होंने कहा, 'यह सिर्फ अमेरिका या यूरोप की लड़ाई नहीं है। शांति का रास्ता दिल्ली से भी होकर जाता है।' उन्होंने आरोप लगाया कि इस नीति से न सिर्फ यूक्रेन को नुकसान हो रहा है बल्कि अमेरिका के आम लोगों पर भी आर्थिक बोझ पड़ रहा है- नौकरियों से लेकर टैक्स तक।

 भारत बना ‘ऑयल लॉन्ड्रिंग सेंटर’?
नवैरो ने भारत पर यह आरोप भी लगाया कि वह रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदकर उसे रिफाइन करके अन्य देशों को बेच रहा है, जिससे भारतीय रिफाइनरियों को फायदा हो रहा है। उन्होंने कहा, भारत हमें जो सामान बेचकर पैसा कमाता है, उसी पैसे से रूस से तेल खरीदता है। फिर उसे प्रोसेस करके मुनाफा कमाता है और रूस उस पैसे से हथियार बनाकर यूक्रेन में तबाही मचाता है। और अंत में, हमें यूक्रेन की मदद के लिए और पैसे खर्च करने पड़ते हैं। यह पागलपन है।

 क्या बिगड़ेंगे भारत-अमेरिका रिश्ते?
नवैरो के बयान ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या अमेरिका भारत पर तेल खरीद को लेकर दबाव बढ़ाएगा? भारत पहले ही साफ कर चुका है कि उसकी ऊर्जा नीति रणनीतिक स्वायत्तता पर आधारित है और वह अपनी आवश्यकताओं के अनुसार निर्णय लेता है, न कि किसी के दबाव में।
  

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