Edited By Parveen Kumar,Updated: 31 Jul, 2024 11:23 PM

इंफोसिस के पूर्व बोर्ड सदस्य और मुख्य वित्तीय अधिकारी मोहनदास पई ने सॉफ्टवेयर फर्म को भेजी गई 32,000 करोड़ रुपये की वस्तु एवं सेवा अधिनियम (जीएसटी) मांग की आलोचना की है और इसे 'कर आतंकवाद' का सबसे खराब रूप बताया है।
नेशनल डेस्क : इंफोसिस के पूर्व बोर्ड सदस्य और मुख्य वित्तीय अधिकारी मोहनदास पई ने सॉफ्टवेयर फर्म को भेजी गई 32,000 करोड़ रुपये की वस्तु एवं सेवा अधिनियम (जीएसटी) मांग की आलोचना की है और इसे 'कर आतंकवाद' का सबसे खराब रूप बताया है। बेंगलुरू जीएसटी कार्यालय द्वारा की गई कर मांग ने खलबली मचा दी है, क्योंकि इंफोसिस का ट्रैक रिकॉर्ड भारत की सबसे अच्छी तरह से संचालित फर्मों में से एक है।
मनीकंट्रोल द्वारा देखे गए एक दस्तावेज के अनुसार, मांग में जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) से एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (आईजीएसटी) में 32,000 करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी का आरोप लगाया गया है। इंफोसिस ने एक्सचेंज फाइलिंग में कहा कि उसने सभी बकाया चुका दिए हैं और डीजीजीआई द्वारा दावा किए गए खर्चों पर जीएसटी लागू नहीं है।
कंपनी ने फाइलिंग में कहा, "इंफोसिस ने अपने सभी जीएसटी बकाया का भुगतान कर दिया है और इस मामले में केंद्र और राज्य के नियमों का पूरी तरह से अनुपालन कर रही है।" पई, जो एरिन कैपिटल के चेयरमैन भी हैं, ने मनीकंट्रोल से फोन पर बातचीत में कहा, "वित्त मंत्रालय को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए। इस तरह का कर आतंकवाद भारत में निवेश को बड़े पैमाने पर प्रभावित करता है।"