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अंतरिक्ष में अद्भुत खोजः हर 44 मिनट में सिग्नल भेज रहा रहस्यमयी ऑब्जेक्ट, वैज्ञानिक हैरान

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 02 Jun, 2025 11:47 AM

mysterious radio signal from space star is sending signals every 44 minutes

अंतरिक्ष हमेशा से ही रहस्य और रोमांच का केंद्र रहा है। अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसा अनोखा ऑब्जेक्ट खोजा है जो हर 44 मिनट में रेडियो और एक्स-रे सिग्नल भेज रहा है। इस अनोखी खोज ने वैज्ञानिकों को चौंका दिया है क्योंकि इसकी गतिविधियां किसी भी ज्ञात खगोलीय...

नेशनल डेस्क: अंतरिक्ष हमेशा से ही रहस्य और रोमांच का केंद्र रहा है। अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसा अनोखा ऑब्जेक्ट खोजा है जो हर 44 मिनट में रेडियो और एक्स-रे सिग्नल भेज रहा है। इस अनोखी खोज ने वैज्ञानिकों को चौंका दिया है क्योंकि इसकी गतिविधियां किसी भी ज्ञात खगोलीय पिंड से मेल नहीं खातीं। इस अजीबोगरीब ऑब्जेक्ट को वैज्ञानिकों ने ASKAP J1832-0911 नाम दिया है। इसकी खोज ऑस्ट्रेलिया के रेडियो टेलीस्कोप ASKAP (Australian Square Kilometre Array Pathfinder) ने की थी। बाद में अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA के Chandra X-ray Observatory ने भी इसकी पुष्टि की। यह ऑब्जेक्ट हर 44 मिनट में रेडियो और एक्स-रे की तीव्र तरंगें छोड़ता है। यह कोई एक बार की घटना नहीं है, बल्कि इसकी गति नियमित है और यह हर 44 मिनट में दो मिनट की तीव्र ऊर्जा तरंगें छोड़ता है। यह व्यवहार अब तक देखे गए किसी भी खगोलीय पिंड जैसा नहीं है।

वैज्ञानिकों के लिए पहेली बन चुका है ये ऑब्जेक्ट

इस रहस्यमयी ऑब्जेक्ट की खोज में प्रमुख भूमिका निभाने वाले शोधकर्ता एंडी वांग (कर्टिन यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया) ने कहा,  "हमने कभी ऐसा कुछ नहीं देखा। यह हर 44 मिनट में एक तीव्र ऊर्जा फटने जैसा व्यवहार करता है जो किसी भी मौजूदा सिद्धांत या मॉडल में फिट नहीं बैठता।" वैज्ञानिकों ने इसे "लॉन्ग पीरियड ट्रांज़िएंट (LPT)" की श्रेणी में रखा है। LPT वह खगोलीय पिंड होते हैं जो लंबे समय के अंतराल में अचानक सक्रिय होते हैं और फिर शांत हो जाते हैं।

क्या है इस रहस्य के पीछे?

शोधकर्ताओं के अनुसार यह ऑब्जेक्ट दो संभावित रूपों में हो सकता है:

  1. मैग्नेटार – यह एक मृत तारे का अवशेष होता है जो बेहद शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र रखता है।

  2. व्हाइट ड्वार्फ – यह एक ऐसा तारा होता है जो अपने जीवन चक्र के अंतिम चरण में पहुंच चुका होता है और बाइनरी सिस्टम (दो तारों की प्रणाली) का हिस्सा हो सकता है।

लेकिन समस्या यह है कि यह ऑब्जेक्ट इन दोनों में से किसी की भी गतिविधियों से पूरी तरह मेल नहीं खाता। यानी अब तक का कोई भी खगोलीय मॉडल इसे समझा नहीं पाया है।

क्या यह किसी नई खोज की शुरुआत है?

एंडी वांग कहते हैं, "यह खोज शायद खगोल विज्ञान में किसी नई श्रेणी की शुरुआत है। हो सकता है यह सितारों के विकास की कोई अज्ञात अवस्था हो या फिर हमें ब्रह्मांड के काम करने के तरीकों के बारे में कुछ नया सिखाने वाला संकेत।" वैज्ञानिकों की टीम अब इस तरह के और ऑब्जेक्ट्स को खोजने में जुट गई है ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह व्यवहार कोई इकलौती घटना है या एक नई और आम खगोलीय प्रक्रिया।

 

 

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