Edited By shukdev,Updated: 21 Oct, 2019 08:51 PM
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) से कहा कि खुले में कूड़ा जलाने से रोकने के लिए अधिकारियों को नियमित रूप से निगरानी करनी चाहिए। साथ ही उन्होंने पर्यावरण संबंधी मुद्दों के निवारण के लिए एक मोबाइल...
नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) से कहा कि खुले में कूड़ा जलाने से रोकने के लिए अधिकारियों को नियमित रूप से निगरानी करनी चाहिए। साथ ही उन्होंने पर्यावरण संबंधी मुद्दों के निवारण के लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन विकसित करने का निर्देश भी दिया है। न्यायाधिकरण ने जसोला निवासी कल्याण संघ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया।
याचिका में आरोप लगाया गया था कि ओखला अपशिष्ट उपचार संयंत्र में गार्ड और अधिकारियों की मौजूदगी में खुले में कूड़ा जलाया जा रहा है। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अधिकारियों को कूड़ा जलाने की आशंका वाले स्थानों की नियमित रूप से निगरानी करनी चाहिए ताकि इस तरह की घटनाओं से पर्यावरण को नुकसान न हो। इससे पहले एनजीटी ने इस मुद्दे पर एक रिपोर्ट मांगी थी।
डीपीसीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ओखला संयंत्र के निरीक्षण के दौरान उसे खुले में कूड़ा जलाने की कोई घटना देखने को नहीं मिली। इस पर एनजीटी ने कहा कि हो सकता है कि दौरे के समय कूड़ा नहीं जलाया जा रहा हो, लेकिन ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी है कि संबंधित अधिकारी निगरानी बनाए रखें।