चिनाब में उफान, सलाल बांध के खुले गेट, सुरक्षा अलर्ट के बीच तनावपूर्ण हालात में लिया गया फैसला

Edited By Updated: 30 Jun, 2025 03:15 PM

chenab river water level increased salal dam gates opened

जम्मू और कश्मीर में भारी बारिश के बाद चिनाब नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। इससे न केवल क्षेत्र के लोगों की चिंता बढ़ी है बल्कि प्रशासन को भी हाई अलर्ट पर ला दिया है। रियासी जिले में स्थित सलाल बांध के कई स्पिलवे गेट खोल दिए गए हैं ताकि...

नेशनल डेस्क: जम्मू और कश्मीर में भारी बारिश के बाद चिनाब नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। इससे न केवल क्षेत्र के लोगों की चिंता बढ़ी है बल्कि प्रशासन को भी हाई अलर्ट पर ला दिया है। रियासी जिले में स्थित सलाल बांध के कई स्पिलवे गेट खोल दिए गए हैं ताकि अतिरिक्त पानी को सुरक्षित रूप से बाहर निकाला जा सके और किसी भी संभावित बाढ़ को टाला जा सके। बांध प्रबंधन और प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे चिनाब नदी के किनारों से दूर रहें और सभी सुरक्षा निर्देशों का सख्ती से पालन करें। यह कदम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है क्योंकि जलस्तर में तेज़ी से वृद्धि हो रही है।

डोडा-किश्तवाड़-रामबन रेंज के डीआईजी श्रीधर पाटिल ने ANI से बातचीत में कहा “चिनाब नदी में जलस्तर काफी बढ़ चुका है। डोडा जिले में इससे जुड़ी एक दुखद घटना भी हुई है जिसमें कुछ लोगों की जान चली गई। मैं सभी से अपील करता हूं कि वे किसी भी कीमत पर नदियों और उफनती धाराओं के पास न जाएं।” सलाल बांध के स्पिलवे गेटों को खोलने का मुख्य उद्देश्य अतिरिक्त पानी को बाहर निकालना और नदी के किनारे बसे इलाकों में बाढ़ की संभावना को कम करना है। मौसम विभाग ने अभी और बारिश की संभावना जताई है जिससे चिनाब का जलस्तर और बढ़ सकता है।
 


बगलिहार परियोजना पर भी बारिश का असर

चिनाब नदी का जलस्तर बढ़ने से बगलिहार जलविद्युत परियोजना पर भी असर पड़ा है। मई में भारी बारिश के कारण 8 मई को इसके गेट भी कुछ समय के लिए खोलने पड़े थे। समय रहते जलप्रबंधन से अब तक बड़ी आपदा को टालने में सफलता मिली है। सलाल बांध के गेट खोलने का फैसला एक संवेदनशील समय पर लिया गया है। हाल ही में पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा है। इसके बाद भारत ने "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत कड़ा रुख अपनाया और सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कहा था “पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते।” यह बयान इस बात को दर्शाता है कि भारत अब जल नीति को भी राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए से देख रहा है।

क्या है सिंधु जल संधि?

साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई यह संधि सिंधु बेसिन की छह नदियों - सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज - के जल वितरण को नियंत्रित करती है।

  • पूर्वी नदियाँ - रावी, ब्यास और सतलुज: भारत को आवंटित

  • पश्चिमी नदियाँ - सिंधु, झेलम और चिनाब: पाकिस्तान को, भारत को सीमित उपयोग की अनुमति

भारत ने इस संधि के अंतर्गत सलाल और बगलिहार जैसे जलविद्युत परियोजनाओं को विकसित किया है। ये परियोजनाएं "रन-ऑफ-द-रिवर" प्रकार की होती हैं, जिनमें जल का संग्रहण नहीं बल्कि प्रवाह का नियंत्रित उपयोग किया जाता है।

राजनीतिक दबाव और पर्यावरणीय संतुलन के बीच चुनौती

भारत की जल परियोजनाएं अब केवल ऊर्जा उत्पादन का माध्यम नहीं रहीं, बल्कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा और कूटनीतिक नीति का हिस्सा बन चुकी हैं। इसीलिए सलाल बांध जैसे संवेदनशील स्थानों पर किसी भी प्रकार का संचालन (जैसे गेट खोलना) अब केवल तकनीकी निर्णय नहीं बल्कि रणनीतिक निर्णय भी होता है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि स्थिति नियंत्रण में है और सभी ज़रूरी कदम उठाए जा रहे हैं। फिर भी आम लोगों को सावधानी बरतने और प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की आवश्यकता है।

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