मोदी सरकार का गेमिंग सुधार: युवाओं की सुरक्षा के साथ सुरक्षित और जिम्मेदार डिजिटल भविष्य का निर्माण

Edited By Updated: 22 Aug, 2025 09:04 PM

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एक ऐतिहासिक निर्णय के तहत, लोकसभा और राज्यसभा ने ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन एवं विनियमन विधेयक, 2025 को पारित कर दिया है। यह विधेयक मोदी सरकार द्वारा अनियमित ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र में बढ़ती समस्याओं से निपटने के लिए प्रस्तुत किया गया एक परिवर्तनकारी कदम...

नेशनल डेस्क : एक ऐतिहासिक निर्णय के तहत, लोकसभा और राज्यसभा ने ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन एवं विनियमन विधेयक, 2025 को पारित कर दिया है। यह विधेयक मोदी सरकार द्वारा अनियमित ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र में बढ़ती समस्याओं से निपटने के लिए प्रस्तुत किया गया एक परिवर्तनकारी कदम है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के मार्गदर्शन में, यह कानून ई-स्पोर्ट्स और सामाजिक रूप से लाभकारी खेलों को प्रोत्साहित करते हुए रियल-मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म्स पर सख्त नियंत्रण लगाता है, जो युवाओं के लिए बड़ी चिंता का विषय बने हुए थे।

रियल-मनी गेमिंग संकट से निपटने की पहल
भारत का ऑनलाइन गेमिंग उद्योग पिछले दशक में तेजी से विकसित हुआ है, जिसका कारण किफायती इंटरनेट, स्मार्टफोन की व्यापक पहुंच और फिनटेक सेक्टर का उभार है। 2024 तक भारत में 50 करोड़ से अधिक गेमर्स होने का अनुमान है, जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा गेमिंग बाजार बन जाएगा। हालांकि, वहीं रियल-मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म्स—जैसे फ़ैंटेसी क्रिकेट, पोकर, रम्मी और लॉटरी—ने भी खतरनाक वृद्धि देखी है, जिसके सामाजिक और आर्थिक परिणाम विनाशकारी रहे हैं।

ये प्लेटफ़ॉर्म, जहाँ उपयोगकर्ता त्वरित मुनाफे की उम्मीद में पैसा दांव पर लगाते हैं, युवा वर्ग के बीच एक गंभीर सामाजिक समस्या बन गए हैं। विदेशी क्षेत्रों से संचालित ये प्लेटफ़ॉर्म धोखाधड़ी वाले एल्गोरिदम और व्यसनकारी डिज़ाइन का उपयोग कर खिलाड़ियों को फंसाते हैं। खासकर अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के युवा इनकी जाल में फंस कर कर्ज़ और मानसिक दबाव का शिकार हो रहे हैं, जिससे हर साल 2,000 से अधिक आत्महत्याएं होने की रिपोर्टें सामने आई हैं।

सिर्फ व्यक्तिगत नुकसान ही नहीं, बल्कि 2023-24 में 4,000 करोड़ रुपये से अधिक के सट्टेबाजी घोटाले भी इन प्लेटफ़ॉर्म्स से जुड़े पाए गए हैं। कई ऐसे प्लेटफ़ॉर्म नियामक नियंत्रण से बाहर हैं, कर चोरी करते हैं और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए उपयोग किए जा रहे हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरा है। आतंकवाद के वित्तपोषण से जुड़े लिंक भी चिंता का विषय हैं। असंगत राज्य-स्तरीय कानूनों के कारण समस्याएं और बढ़ गई हैं, जिससे एक केंद्रीय, व्यापक विनियमन की आवश्यकता और भी स्पष्ट हो गई है।

मजबूत विनियमन और संरक्षण का ढाँचा
ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन एवं विनियमन विधेयक, 2025 नवाचार और सुरक्षा के बीच संतुलन स्थापित करता है। यह कानून पैसे से जुड़े सभी ऑनलाइन खेलों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है, चाहे वे कौशल आधारित हों या संयोग पर। विशेष रूप से फ़ैंटेसी स्पोर्ट्स, पोकर और रम्मी जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स को निशाना बनाया गया है। विधेयक में ऐसे प्लेटफॉर्म्स के विज्ञापन पर भी रोक लगाई गई है, जिनमें मशहूर हस्तियों, एथलीटों और प्रभावशाली लोगों द्वारा प्रचार शामिल है, जो युवा खिलाड़ियों को आकर्षित करते थे।

वित्तीय प्रतिबंध और कड़े दंड
विधेयक के तहत बैंकों, वित्तीय संस्थानों और भुगतान माध्यमों को रियल-मनी गेमिंग से जुड़े लेनदेन को रोकना अनिवार्य होगा, जिससे इन प्लेटफ़ॉर्म्स की आर्थिक गतिविधियां ठप्प हो जाएंगी। उल्लंघन करने पर 3 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। बार-बार अपराध करने वालों को 5 साल तक की कैद और 2 करोड़ रुपये तक का जुर्माना भुगतना पड़ेगा। कंपनियों के जिम्मेदार अधिकारियों को भी दंड का सामना करना होगा।

राष्ट्रीय ऑनलाइन गेमिंग प्राधिकरण की स्थापना
विधेयक के तहत एक राष्ट्रीय ऑनलाइन गेमिंग प्राधिकरण की स्थापना होगी, जिसका प्रारंभिक व्यय 50 करोड़ रुपये और वार्षिक खर्च 20 करोड़ रुपये होगा। यह प्राधिकरण राज्य सरकारों के साथ समन्वय करेगा, दिशानिर्देश जारी करेगा, शिकायतों का निवारण करेगा और खेलों का आयु-आधारित वर्गीकरण सुनिश्चित करेगा। प्राधिकृत अधिकारियों को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत बिना वारंट के तलाशी लेने, संपत्ति जब्त करने और गैर-अनुपालन प्लेटफॉर्म ब्लॉक करने का अधिकार होगा, जो भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के अनुरूप होगा।

ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेमिंग को बढ़ावा
विधेयक ई-स्पोर्ट्स और सामाजिक रूप से लाभकारी खेलों को बढ़ावा देता है, साथ ही हानिकारक गेमिंग प्रथाओं पर कड़ा नियंत्रण भी करता है। ई-स्पोर्ट्स को वैध प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में मान्यता मिली है, और युवा मामले एवं खेल मंत्रालय को प्रशिक्षण अकादमी, दिशानिर्देश तथा प्रोत्साहन योजनाएं संचालित करने का दायित्व दिया गया है।

साथ ही, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) सामाजिक एवं शैक्षिक खेलों के विकास की देखरेख करेंगे। विधेयक में खिलाड़ियों को अपराधी नहीं बल्कि पीड़ित माना गया है और उपभोक्ता संरक्षण हेतु आयु सत्यापन, व्यय सीमा और शिकायत निवारण व्यवस्था को अनिवार्य किया गया है।

राजस्व से ऊपर युवाओं का कल्याण
मोदी सरकार ने आर्थिक लाभ से ऊपर युवाओं के कल्याण को प्राथमिकता दी है। जहां ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र 31,000 करोड़ रुपये का राजस्व, 20,000 करोड़ रुपये का कर और 25,000 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश उत्पन्न करता है, वहीं इसके सामाजिक दुष्परिणाम अत्यंत गंभीर हैं।

भारत के 55 करोड़ गेमर्स में से 60 प्रतिशत 25 वर्ष से कम आयु के हैं, जो रियल-मनी गेमिंग के व्यसनकारी डिज़ाइनों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील हैं। सरकार इस युवा वर्ग को वित्तीय नुकसान, मानसिक स्वास्थ्य संकट और सामाजिक विघटन से बचाने के लिए प्रतिबद्ध है।

यह विधेयक विदेशी प्लेटफ़ॉर्म से जुड़े वित्तीय अपराधों और राष्ट्रीय सुरक्षा के जोखिमों को भी कम करता है, और भारत के डिजिटल नियमों को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाता है। चीन, यूरोप और अमेरिका जैसे देशों ने भी ऑनलाइन गेमिंग पर नियंत्रण लगाया है, और भारत इस दिशा में ज़िम्मेदार डिजिटल शासन का नेतृत्व कर रहा है।

नवाचार और रोजगार के अवसर
ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेमिंग को प्रोत्साहित करके सरकार नवाचार को बढ़ावा दे रही है, जिससे 2027 तक 2 लाख से अधिक रोजगार सृजित होने और भारत को वैश्विक ई-स्पोर्ट्स केंद्र बनाने की संभावना है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसमें भारत की सांस्कृतिक विरासत को उपयोग में लाकर वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी गेमिंग उत्पाद विकसित किए जाएं।

विपक्ष की आपत्तियां और सरकार का पक्ष
विपक्षी नेता कार्ति चिदंबरम और प्रियांक खड़गे सहित कई आलोचक इस प्रतिबंध को व्यापक मानते हुए चिंतित हैं कि इससे उपयोगकर्ता अनियमित विदेशी प्लेटफ़ॉर्म्स की ओर आकर्षित हो सकते हैं, जिससे डेटा चोरी, वित्तीय धोखाधड़ी और कर राजस्व व रोजगार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हालांकि, सरकार का कहना है कि सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य पर इसके लाभ आर्थिक नुकसानों से कहीं अधिक हैं। विधेयक के सख्त प्रवर्तन तंत्र का उद्देश्य कालाबाज़ारी और धोखाधड़ी पर कड़ा अंकुश लगाना है।

सुरक्षित डिजिटल भारत की ओर एक बड़ा कदम
ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन एवं विनियमन विधेयक, 2025, भारत के डिजिटल क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। वास्तविक धन वाले गेमिंग पर कठोर प्रतिबंध, सख्त दंड और ई-स्पोर्ट्स व सोशल गेमिंग के लिए मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करके मोदी सरकार ने युवाओं को वित्तीय और मानसिक शोषण से बचाने का एक साहसिक कदम उठाया है।

यह विधेयक सामाजिक स्थिरता और राष्ट्रीय सुरक्षा पर गहरा प्रभाव डालेगा और एक ज़िम्मेदार, नवाचार-प्रधान गेमिंग उद्योग के लिए रास्ता खोलेगा, जिससे भारत का डिजिटल भविष्य सुरक्षित और उज्जवल बनेगा।

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