Edited By Sahil Kumar,Updated: 17 Dec, 2025 08:33 PM

महंगाई और वैश्विक अनिश्चितता के दौर में तीन लाख रुपये के निवेश को लेकर सोना और चांदी के बीच बहस तेज है। सोना जहां स्थिरता, सुरक्षा और तरलता प्रदान करता है, वहीं चांदी औद्योगिक मांग के कारण तेज रिटर्न की संभावना दिखाती है। विशेषज्ञों के अनुसार 2050...
नेशनल डेस्कः महंगाई, वैश्विक अनिश्चितता और तेजी से बदलती अर्थव्यवस्था के इस दौर में आम निवेशक के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि सीमित पूंजी को कहां निवेश किया जाए। तीन लाख रुपये की रकम भले ही छोटी लगे, लेकिन सही रणनीति के साथ यही राशि भविष्य में मजबूत आर्थिक सहारा बन सकती है। भारत में पारंपरिक रूप से सोना सबसे भरोसेमंद निवेश विकल्प माना जाता रहा है, जबकि हाल के वर्षों में चांदी ने भी तेज रफ्तार से निवेशकों का ध्यान खींचा है। ऐसे में 2050 तक की तस्वीर को समझना जरूरी हो जाता है।
निवेशकों को फैसला लेने में उलझन
निवेश की दुनिया में सोना हमेशा सुरक्षित निवेश के तौर पर देखा जाता है। बाजार में गिरावट हो, मुद्रा कमजोर हो या वैश्विक संकट गहराए, निवेशक सबसे पहले सोने की ओर रुख करते हैं। इसी वजह से सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव अपेक्षाकृत सीमित रहता है। दूसरी ओर चांदी सिर्फ कीमती धातु नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण औद्योगिक धातु भी है। इसकी कीमतें औद्योगिक मांग, तकनीकी विकास और वैश्विक परिस्थितियों के साथ तेजी से बदलती हैं। यही फर्क निवेशकों को फैसला लेने में उलझन में डालता है।
तीन लाख रुपये के सोने से क्या फायदा
अगर कोई निवेशक तीन लाख रुपये सोने में लगाता है, तो उसे सबसे पहले स्थिरता और सुरक्षा मिलती है। सोने की सबसे बड़ी खासियत इसकी उच्च तरलता है, यानी इसे आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है। लंबे समय में सोना महंगाई को मात देने में सक्षम रहा है। भले ही इससे अचानक बड़ा रिटर्न न मिले, लेकिन पूंजी की सुरक्षा इसका सबसे बड़ा लाभ है। यही कारण है कि जोखिम से बचने वाले निवेशक आज भी सोने को अपनी पहली पसंद मानते हैं।
चांदी क्यों कहलाती है भविष्य की धातु
चांदी का आकर्षण उसकी तेज रफ्तार संभावनाओं में छिपा है। इलेक्ट्रिक वाहन, सोलर पैनल, ग्रीन एनर्जी और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में चांदी की मांग लगातार बढ़ रही है। इसी वजह से हाल के वर्षों में चांदी की कीमतों में तेज उछाल देखने को मिला है। हालांकि इसकी कीमतें सोने के मुकाबले ज्यादा अस्थिर रहती हैं, लेकिन जोखिम लेने वाले निवेशकों के लिए यही अस्थिरता बड़ा अवसर बन सकती है। तीन लाख रुपये में चांदी खरीदने पर निवेशक मात्रा के लिहाज से भी ज्यादा धातु अपने पास रख सकता है।
2050 तक कीमतों का अनुमान
2050 तक की कीमतों का सटीक अनुमान लगाना मुश्किल है, लेकिन विशेषज्ञों के आकलन कुछ अहम संकेत जरूर देते हैं। बढ़ती महंगाई, वैश्विक कर्ज और सीमित आपूर्ति के चलते सोने की कीमतें लंबी अवधि में कई गुना बढ़ सकती हैं। कुछ अनुमानों के मुताबिक आने वाले वर्षों में सोना प्रति 10 ग्राम कई लाख रुपये के स्तर तक पहुंच सकता है। वहीं चांदी की कहानी और भी दिलचस्प मानी जा रही है। यदि औद्योगिक मांग इसी रफ्तार से बढ़ती रही, तो चांदी की कीमतें सोने की तुलना में तेजी से ऊपर जा सकती हैं और प्रति किलो इसके दाम मौजूदा स्तर से कई गुना हो सकते हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक, निवेश का फैसला निवेशक की जोखिम क्षमता और लक्ष्य पर निर्भर करता है। स्थिरता और सुरक्षा चाहने वालों के लिए सोना बेहतर विकल्प हो सकता है, जबकि लंबी अवधि में ज्यादा रिटर्न की उम्मीद रखने वाले निवेशक चांदी पर दांव लगा सकते हैं। सही संतुलन बनाकर दोनों में निवेश करना भी एक व्यावहारिक रणनीति मानी जाती है।