पर्सनल लॉ से ऊपर हैं पॉक्सो और आईपीसी : कर्नाटक हाई कोर्ट

Edited By Anu Malhotra,Updated: 31 Oct, 2022 01:35 PM

pocso and ipc are above personal law karnataka high court

कर्नाटक हाई कोर्ट ने दो अलग-अलग मामलों में टिप्पणी की कि विवाह की आयु के मामले में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) मुस्लिम पर्सनल लॉ से ऊपर हैं।

बेंगलुरु: कर्नाटक हाई कोर्ट ने दो अलग-अलग मामलों में टिप्पणी की कि विवाह की आयु के मामले में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) मुस्लिम पर्सनल लॉ से ऊपर हैं। 

अदालत ने पहले मामले में इस दावे को खारिज कर दिया कि,मुस्लिम कानून के तहत, विवाह के लिए युवावस्था को ध्यान में रखा जाता है और 15 साल की आयु में यौवन शुरू हो जाता है तथा इसलिए बाल विवाह प्रतिबंध अधिनियम की धारा 9 और 10 के तहत'' कोई अपराध नहीं बनता।

 न्यायमूर्ति राजेंद्र बदामीकर ने अपने हालिया फैसले में कहा कि पॉक्सो अधिनियम एक विशेष कानून है और यह पर्सनल लॉ से ऊपर है और पॉक्सो अधिनियम के तहत यौन गतिविधि के लिए स्वीकार्य आयु 18 वर्ष है।

अदालत ने 27 वर्षीय एक मुस्लिम युवक की याचिका पर यह फैसला सुनाया। इस युवक की पत्नी की आयु 17 वर्ष है और वह गर्भवती है। जब वह जांच के लिए अस्पताल आई, तो चिकित्सा अधिकारी ने पुलिस को उसकी आयु के बारे में बताया और पति के खिलाफ बाल विवाह प्रतिबंध अधिनियम और पॉक्सो के तहत मामला दर्ज किया गया। 

बहरहाल, अदालत ने पति की जमानत याचिका स्वीकार कर ली। न्यायमूर्ति बदामीकर ने ही एक अन्य मामले में 19 वर्षीय आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी। इस मामले में आरोपी पर पॉक्सो अधिनियम के साथ-साथ आईपीसी के तहत भी आरोप लगाए गए हैं। 

इस मामले में आरोपी 16 वर्षीय किशोरी को कथित रूप से बहला-फुसलाकर छह अप्रैल, 2022 को अपने साथ मैसुरु ले गया, जहां उसने होटल के एक कमरे में नाबालिग लड़की से दो बार बलात्कार किया। इस मामले में चिक्कमगलुरु की निचली अदालत में आरोपपत्र पहले ही दायर किया जा चुका है। आरोपी के वकील ने हाई कोर्ट के समक्ष जमानत याचिका पेश करते हुए तर्क दिया, दोनों पक्ष मुसलमान हैं, इसलिए यौवन शुरू होने की उम्र को ध्यान में रखा जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम और आईपीसी, पर्सनल लॉ से ऊपर हैं और ‘‘याचिकाकर्ता पर्सनल लॉ की आड़ में नियमित जमानत का अनुरोध नहीं कर सकता।

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