Edited By Parveen Kumar,Updated: 26 Sep, 2025 07:00 PM

लिवर हमारे शरीर का एक बेहद अहम अंग है, जो पाचन से लेकर ऊर्जा भंडारण और शरीर से टॉक्सिन्स निकालने तक कई महत्वपूर्ण काम करता है। यह ब्लड को फ़िल्टर करता है, ज़रूरी प्रोटीन बनाता है और पित्त यानी बाइल जूस तैयार करता है, जिससे भोजन सही ढंग से पच पाता है।
नेशनल डेस्क: लिवर हमारे शरीर का एक बेहद अहम अंग है, जो पाचन से लेकर ऊर्जा भंडारण और शरीर से टॉक्सिन्स निकालने तक कई महत्वपूर्ण काम करता है। यह ब्लड को फ़िल्टर करता है, ज़रूरी प्रोटीन बनाता है और पित्त यानी बाइल जूस तैयार करता है, जिससे भोजन सही ढंग से पच पाता है।
असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि
विशेषज्ञों के अनुसार, जब लिवर की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं तो इसे लिवर कैंसर कहा जाता है। इसकी वजहें कई हो सकती हैं जैसे लंबे समय तक शराब का सेवन, हेपेटाइटिस-बी और सी का संक्रमण, फैटी लिवर डिजीज, मोटापा या परिवार में कैंसर का इतिहास। यह बीमारी धीरे-धीरे लिवर की कार्यक्षमता को प्रभावित करती है और शरीर पर गंभीर असर डाल सकती है।
लिवर कैंसर के प्रकार
डॉक्टर बताते हैं कि लिवर कैंसर होने पर शरीर की डिटॉक्स प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है और खून में जहरीले पदार्थ जमा होने लगते हैं। इसकी वजह से थकान, वजन कम होना और पाचन संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं। लिवर कैंसर मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है—हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा (HCC), जो सबसे आम है और लिवर की कोशिकाओं से शुरू होता है, तथा कोलांजियोकार्सिनोमा, जो बाइल डक्ट से विकसित होता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कैंसर बेहद खतरनाक है क्योंकि शुरुआती चरण में इसके लक्षण अक्सर स्पष्ट नहीं होते और जब तक पता चलता है, तब तक बीमारी गंभीर रूप ले चुकी होती है। लिवर की कार्यक्षमता कम होने से अन्य अंगों पर भी असर पड़ता है और शरीर धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है।
धीरे-धीरे दिखते लक्षण
लिवर कैंसर के लक्षणों के बारे में एम्स गैस्ट्रोलॉजी विभाग के पूर्व डॉक्टर अनन्य गुप्ता बताते हैं कि इसके संकेत धीरे-धीरे सामने आते हैं और अक्सर इन्हें सामान्य बीमारी समझकर नज़रअंदाज कर दिया जाता है। शुरुआती चरण में थकान, भूख न लगना और बिना वजह वजन कम होना आम संकेत हैं। मरीज को पेट के दाहिने हिस्से में लगातार दर्द या भारीपन महसूस हो सकता है। आंखों और त्वचा का पीला पड़ना, बार-बार उल्टी या मिचली आना भी लिवर कैंसर के संकेत हो सकते हैं।
गंभीर अवस्था के संकेत
गंभीर अवस्था में मरीज को पेट और पैरों में सूजन की शिकायत हो सकती है। शरीर में कमजोरी बढ़ जाती है और कुछ मामलों में खून की उल्टी या ब्लीडिंग जैसी समस्या भी सामने आती है। विशेषज्ञों का कहना है कि ये लक्षण अन्य बीमारियों से भी मिलते-जुलते हैं, इसलिए समय रहते जांच कराना बेहद ज़रूरी है। सीटी स्कैन, एमआरआई और बायोप्सी जैसे आधुनिक टेस्ट से इस बीमारी की सटीक पहचान की जा सकती है। शुरुआती चरण में पहचान होने पर उपचार आसान हो जाता है और गंभीर स्थिति से बचाव संभव है।
बचाव ही सबसे बड़ा उपाय
विशेषज्ञ बचाव के उपाय भी बताते हैं। उनका कहना है कि शराब और धूम्रपान से दूरी बनाना ज़रूरी है। हेपेटाइटिस-बी का टीकाकरण करवाना चाहिए और हेल्दी डाइट को जीवनशैली का हिस्सा बनाना चाहिए। इसके साथ ही मोटापा और फैटी लिवर से बचाव, नियमित एक्सरसाइज और समय-समय पर लिवर की जांच कराने से इस गंभीर बीमारी के जोखिम को कम किया जा सकता है।