प्रियांक खरगे ने RSS पर फिर साधा निशाना, बोले- 'संविधान नहीं मनुस्मृति चाहता था संघ'

Edited By Updated: 03 Nov, 2025 03:33 PM

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे और कर्नाटक मंत्री प्रियांक खरगे ने आरएसएस पर तीखा हमला किया है। उन्होंने सवाल उठाया कि संघ देश के कानून और संविधान से क्यों डरता है और मोहन भागवत को एडवांस सुरक्षा क्यों दी गई है। खरगे ने कहा कि आरएसएस को...

नेशनल डेस्क : कर्नाटक सरकार में मंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर एक बार फिर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने आरएसएस को 'अपंजीकृत संगठन' बताते हुए सवाल उठाया कि आखिर संघ देश के कानून और संविधान से इतना डरता क्यों है? मोहन भागवत को प्रधानमंत्री-गृहमंत्री के बराबर एडवांस सिक्योरिटी प्रोटोकॉल क्यों दिया गया है? खरगे ने आरएसएस के माध्यम से भाजपा पर भी निशाना साधा और कहा कि भाजपा क्यों नहीं चाहती कि आरएसएस कानून का पालन करे?

आरएसएस को रजिस्टर कराएं, पारदर्शिता दिखाएं: खरगे
प्रियांक खरगे ने कहा, "मुझे आरएसएस से तब तक कोई दिक्कत नहीं है, जब तक वो अपनी गतिविधियों के लिए सरकार से अनुमति लें और खुद को एक संगठन के रूप में रजिस्टर्ड कराएं। वे भारतीय कानूनों और संविधान से इतना डरते क्यों हैं? एक अपंजीकृत संगठन लाखों लोगों को देश भर में मार्च कराने के लिए कैसे प्रेरित कर सकता है?" उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े एनजीओ के प्रमुख मोहन भागवत को मिलने वाली एडवांस सिक्योरिटी पर सवाल उठाते हुए कहा, "करदाताओं का पैसा क्यों खर्च किया जा रहा है? संघ के प्रचारकों को सैलरी कौन देता है? दान कहां से आता है और दानदाता कौन हैं?"

खरगे ने आरएसएस पर बैन की मांग दोहराते हुए कहा कि संघ को सार्वजनिक स्थानों, सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में गतिविधियां करने से रोका जाना चाहिए। उन्होंने इस मुद्दे पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र भी लिखा है। खरगे ने कहा, "अगर आरएसएस पारदर्शी और जवाबदेह बन जाए, तो मैं भी दान दूंगा। मैं सीधे चेक देना चाहता हूं। नागपुर में मोहन भागवत को दान दूंगा, बताएं तो सही – किस बैंक खाते में जमा करूं?"

'मनुस्मृति संविधान चाहता था आरएसएस'
खरगे ने ऐतिहासिक संदर्भ देते हुए कहा कि जब सरदार पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया था, तो संघ के नेता उनके चरणों में गिर पड़े और दया की भीख मांगी। पटेल ने शर्त रखी थी – राजनीति छोड़ो, हिंसा त्यागो, तिरंगे और संविधान के प्रति निष्ठा रखो। खरगे ने तंज कसते हुए पूछा, "क्या वे आज ऐसा कर रहे हैं? नहीं।" उन्होंने इंदिरा गांधी के आपातकाल का भी जिक्र किया, जब आरएसएस पर फिर बैन लगा था।

तत्कालीन आरएसएस प्रमुख का इंदिरा को लिखा पत्र पढ़ने की सलाह देते हुए कहा, "भाजपा वाले अपनी ही पत्रिका 'ऑर्गनाइजर' नहीं पढ़ते। अगर पढ़ लें, तो पता चलेगा कि आरएसएस मनुस्मृति को संविधान बनाना चाहता था। सावरकर को 'वीर' कैसे कहा गया? अंग्रेजों से पेंशन क्यों मिली? दया याचिकाएं क्यों लिखीं?" खरगे ने कहा, "इतिहास न जानने वालों को व्हाट्सऐप मैसेज और फेसबुक पोस्ट पढ़ना बंद कर दें। सावरकर ने दो-राष्ट्र सिद्धांत का समर्थन किया था। आरएसएस ने क्विट इंडिया मूवमेंट का विरोध किया, संविधान की प्रतियां जलाईं, गांधी हत्या पर मिठाई बांटी।"

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