Edited By Yaspal,Updated: 11 Aug, 2020 08:29 PM
किसी का हिंदुस्तान थोड़ी है। राहत इंदौरी की ये लाइन नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और भारतीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के विरोध में प्रदर्शनकारियों के लिए बुलंद आवाज बनी। सीएए-एनआरसी के विरोध प्रदर्शन के दौरान राहत इंदौरी की इस शायरी ने खूब सुर्खियां बटोरी।...
नेशनल डेस्कः किसी का हिंदुस्तान थोड़ी है। राहत इंदौरी की ये लाइन नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और भारतीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के विरोध में प्रदर्शनकारियों के लिए बुलंद आवाज बनी। सीएए-एनआरसी के विरोध प्रदर्शन के दौरान राहत इंदौरी की इस शायरी ने खूब सुर्खियां बटोरी। विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों के हाथों में मशहूर उर्दू शायर राहत इंदौरी के इस शेर के पोस्टर भी देखे गए।
दरअसल, सीएए-एनआरसी के मुद्दे पर राहत इंदौरी ने अपनी राय रखते हुए कहा था कि यह देश किसी व्यक्ति विशेष, पार्टी या धर्म की संपत्ति नहीं है। इसे उन्होंने शायरी के जरिए लोगों के बीच रखते हुए कहा था कि 'सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में, किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है।
लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द में
यहां पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है,
जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे
किराएदार हैं, ज़ाती मकान थोड़ी है,
सभी का ख़ून है शामिल यहां की मिट्टी में
किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है
सीएए-एनआरसी के विरोध प्रदर्शन में मशहूर हुए इस शेर पर राहत इंदौरी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा था कि लोग अपनी मांगों को उठाने के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। राहत इंदौरी ने कहा था कि इस शेर का ताल्लुक हर उस भारतीय नागरिक से है जो अपने हिंदुस्तान के लिए कुर्बान होने का जज्बा रखता है। उन्होंने ये भी कहा था कि मैं जहां भी जाता हूं। लोग यही शायरी सुनने की फरमाइश करते हैं।