32,000 स्कूल टीचरों के लिए बड़ी राहत, हाईकोर्ट में नियुक्तियां रद्द करने का आदेश खारिज

Edited By Updated: 03 Dec, 2025 06:48 PM

big relief for 32 000 school teachers

कलकत्ता हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए उन 32,000 प्राइमरी शिक्षकों की नियुक्ति को बहाल कर दिया, जिन्हें पूर्व में (रिटायर्ड) जस्टिस अभिजीत गांगुली की सिंगल बेंच ने रद्द कर दिया था। जस्टिस तपोब्रत चक्रवर्ती और...

नेशनल डेस्क: कलकत्ता हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए उन 32,000 प्राइमरी शिक्षकों की नियुक्ति को बहाल कर दिया, जिन्हें पूर्व में (रिटायर्ड) जस्टिस अभिजीत गांगुली की सिंगल बेंच ने रद्द कर दिया था। जस्टिस तपोब्रत चक्रवर्ती और जस्टिस रीतोब्रतो कुमार मित्रा की बेंच ने कहा कि “नौ वर्ष सेवा देने के बाद यदि इन शिक्षकों को हटाया जाता है, तो इससे उनके परिवारों पर गंभीर प्रतिकूल असर पड़ेगा।” यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब अगले साल बंगाल विधानसभा चुनाव होने हैं, और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी तृणमूल कांग्रेस सरकार के लिए यह निर्णय बड़ी राजनीतिक राहत माना जा रहा है।

क्यों रद्द हुई थीं नियुक्तियां?

2014 में हुए टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) के आधार पर कुल 42,500 प्राइमरी शिक्षकों की नियुक्तियां की गई थीं। लेकिन 2023 में जस्टिस अभिजीत गांगुली ने इन नियुक्तियों की प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए 32,000 शिक्षकों की नियुक्ति रद्द कर दी थी। अपने आदेश में उन्होंने सरकार को तीन महीने के भीतर नई भर्ती प्रक्रिया शुरू और पूरी करने का निर्देश दिया था। उल्लेखनीय है कि जस्टिस गांगुली अब रिटायर हो चुके हैं और भाजपा में शामिल हो चुके हैं।

डिवीजन बेंच की अंतरिम रोक और आगे की कानूनी जंग

जस्टिस सुब्रत तालुकदार और जस्टिस सुप्रतिम भट्टाचार्य की डिवीजन बेंच ने गांगुली के आदेश पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार को नया पैनल तैयार करने और छह महीने के भीतर प्रक्रिया पूरी करने का समय दिया था। इसके खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची, जहां सर्वोच्च अदालत ने 32,000 नियुक्तियों पर लगी रोक को बरकरार रखा और मामले की अंतिम सुनवाई के लिए इसे हाई कोर्ट को वापस भेज दिया।

क्या खत्म हुआ विवाद या अभी बाकी है लड़ाई?

डिवीजन बेंच के ताज़ा फैसले ने जहां शिक्षकों को तत्काल राहत दी है, वहीं भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर राजनीतिक बहस अभी भी जारी है। चुनावी साल में आया यह निर्णय कई राजनीतिक समीकरण बदल सकता है, और आने वाले दिनों में इसकी कानूनी और राजनीतिक गूंज और तेज होने की संभावना है।

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