Edited By Pardeep,Updated: 17 Sep, 2020 06:03 AM
ये अटकलें खत्म हो गई हैं कि राहुल गांधी लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता बनाए जाएंगे। अपनी माता सोनिया गांधी के साथ उनके इलाज के लिए अमरीका जाने से पहले राहुल ने इस सुझाव को अस्वीकार कर दिया था। अधीर रंजन चौधरी को पश्चिम बंगाल कांग्रेस का...
नई दिल्लीः ये अटकलें खत्म हो गई हैं कि राहुल गांधी लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता बनाए जाएंगे। अपनी माता सोनिया गांधी के साथ उनके इलाज के लिए अमरीका जाने से पहले राहुल ने इस सुझाव को अस्वीकार कर दिया था। अधीर रंजन चौधरी को पश्चिम बंगाल कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद पार्टी के कुछ नेताओं ने यह सुझाव दिया था।
अधीर रंजन इस समय लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता हैं। ऐसा माना जा रहा था कि ‘एक व्यक्ति-एक पद’ सिद्धांत को देखते हुए अधीर रंजन लोकसभा का नेता पद छोड़ देंगे और अगले साल पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी का आगे बढ़कर नेतृत्व करेंगे। ऐसे में राहुल अधीर की जगह ले सकते हैं परंतु राहुल ने स्पष्ट कर दिया कि वह पार्टी का कोई भी पद नहीं संभालेंगे तथा लोकसभा के अंदर एक सक्रिय सदस्य के रूप में रहेंगे। गांधी परिवार के खास जानकारों का कहना है कि कई नेताओं, जिनमें गुलाम नबी आजाद भी शामिल हैं, ने बरसों तक दो-दो पद संभाले रखे।

पिछले सप्ताह कांग्रेस में फेरबदल से पहले तक वह राज्यसभा में विपक्ष के नेता होने के साथ पार्टी महासचिव भी थे। पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष पद पर अधीर रंजन की नियुक्ति इसलिए महत्वपूर्ण है कि वह मुख्यमंत्री एवं तृणमूल नेता ममता बनर्जी के कट्टर विरोधी हैं। अधीर रंजन पांच बार लोकसभा सदस्य बने। मोदी लहर और ममता बनर्जी के कड़े विरोध का भी उन पर कोई असर नहीं हुआ। अधीर रंजन की नियुक्ति इस बात के संकेत हैं कि अगर यह हो पाया तो कांग्रेस पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में लैफ्ट पार्टियों से गठबंधन करेगी।