Edited By Radhika,Updated: 25 Aug, 2025 06:12 PM

हम सब हर दिन ₹10, ₹20, ₹50, ₹100 और ₹500 के नोट इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन्हें छापने में सरकार का असल में कितना खर्च होता है? नोट पर लिखा मूल्य और उसे बनाने की लागत अलग-अलग होती है। भारत में नोटों को छापने का काम भारतीय...
नेशनल डेस्क: हम सब हर दिन ₹10, ₹20, ₹50, ₹100 और ₹500 के नोट इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन्हें छापने में सरकार का असल में कितना खर्च होता है? नोट पर लिखा मूल्य और उसे बनाने की लागत अलग-अलग होती है। भारत में नोटों को छापने का काम भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) करता है, जिसके लिए देश में चार प्रिंटिंग प्रेस हैं - नासिक, देवास, मैसूर और सालबोनी में।

अलग-अलग नोट की लागत
RBI की एक रिपोर्ट के अनुसार हर नोट को छापने में अलग-अलग लागत आती है।
- छोटे मूल्य के नोट: ₹10, ₹20 और ₹50 के नोटों को छापने की लागत सबसे कम होती है, जो लगभग ₹1 से ₹2 के बीच होती है।
- ₹100 का नोट: इस नोट की लागत थोड़ी ज़्यादा होती है, यह करीब ₹2 से ₹3 के आसपास होती है।
- ₹500 का नोट: 500 रुपये के नोट को बनाने में सरकार को लगभग ₹2.5 से ₹3 का खर्च आता है।
लागत ज़्यादा क्यों होती है?
नोट बनाने के लिए साधारण कागज का इस्तेमाल नहीं होता। इसमें खास तरह के कॉटन और सिक्योरिटी फीचर वाले कागज का उपयोग होता है, जिसे विदेश से मंगाया जाता है। इसी कारण नोट की लागत बढ़ जाती है। इन नोटों में कई सुरक्षा फीचर्स शामिल होते हैं, जैसे कि:
- वॉटरमार्क
- सिक्योरिटी थ्रेड
- माइक्रो लेटरिंग
- कलर-शिफ्टिंग इंक
- यही फीचर्स नकली नोटों को आसानी से पकड़ने में मदद करते हैं।

सिक्कों की कहानी-
यह जानकर आपको हैरानी होगी कि नोटों के मुकाबले सिक्कों को बनाने में ज़्यादा खर्च आता है। उदाहरण के लिए ₹1 का सिक्का बनाने में सरकार को लगभग ₹1.6 खर्च करना पड़ता है। सरकार को एक रुपये का सिक्का बनाने में उसकी कीमत से ज़्यादा पैसा लगाना पड़ता है।
RBI का सालाना खर्च
RBI हर साल लाखों-करोड़ों नोट छापता है, जिनकी संख्या मांग और पुराने नोट वापस लेने पर निर्भर करती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2022-23 में RBI ने सिर्फ नोट छापने पर ही करीब ₹4900 करोड़ खर्च किए थे।