10-20 50 rupee notes: 10, 20 और 50 रुपये के नोटों को लेकर आई बड़ी खबर: छोटे नोटों से नकद लेनदेन हुआ मुश्किल...

Edited By Updated: 16 Dec, 2025 09:36 AM

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रोजमर्रा की नकद जरूरतों को लेकर देशभर में एक नई परेशानी उभरकर सामने आई है। छोटे मूल्य के नोटों की कमी ने आम जनता से लेकर छोटे कारोबारियों तक की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इसी मुद्दे पर अखिल भारतीय रिजर्व बैंक कर्मचारी संघ (AIRBEA) ने गहरी चिंता जताते...

नई दिल्ली: रोजमर्रा की नकद जरूरतों को लेकर देशभर में एक नई परेशानी उभरकर सामने आई है। छोटे मूल्य के नोटों की कमी ने आम जनता से लेकर छोटे कारोबारियों तक की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इसी मुद्दे पर अखिल भारतीय रिजर्व बैंक कर्मचारी संघ (AIRBEA) ने गहरी चिंता जताते हुए इसे एक गंभीर स्थिति बताया है और भारतीय रिजर्व बैंक से तत्काल कदम उठाने की मांग की है।  

कर्मचारी संघ के अनुसार, देश के कई हिस्सों—विशेषकर कस्बों और ग्रामीण इलाकों—में 10, 20 और 50 रुपये के नोट लगभग उपलब्ध नहीं हैं। इसके विपरीत, 100, 200 और 500 रुपये के नोट अपेक्षाकृत आसानी से मिल रहे हैं। इस असंतुलन के कारण छोटे-मोटे नकद लेनदेन करना लोगों के लिए बेहद कठिन हो गया है।

AIRBEA ने RBI के मुद्रा प्रबंधन विभाग के प्रभारी डिप्टी गवर्नर टी. रबी शंकर को भेजे पत्र में बताया कि अधिकांश ATM से सिर्फ बड़े मूल्य के नोट ही निकल रहे हैं। यही नहीं, कई बैंक शाखाएं भी ग्राहकों को छोटे मूल्य के नोट उपलब्ध कराने में असमर्थ नजर आ रही हैं। नतीजतन, स्थानीय परिवहन का भुगतान, किराने की खरीद और अन्य दैनिक जरूरतों के लिए नकद का इस्तेमाल करना लोगों के लिए चुनौती बन गया है।

संघ ने यह भी रेखांकित किया कि डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिलने के बावजूद चलन में कुल नकदी लगातार बढ़ रही है। उनका कहना है कि डिजिटल लेनदेन अभी भी उस बड़ी आबादी का पूरा विकल्प नहीं बन पाया है, जो रोजमर्रा के खर्चों के लिए नकद पर निर्भर है। वहीं, छोटे नोटों की कमी को सिक्कों से पूरा करने की कोशिश भी सफल नहीं हो सकी है, क्योंकि सिक्कों की उपलब्धता और स्वीकार्यता दोनों ही सीमित हैं।

इस स्थिति से निपटने के लिए कर्मचारी संघ ने आरबीआई से तत्काल हस्तक्षेप की अपील की है। उन्होंने सुझाव दिया है कि वाणिज्यिक बैंकों और आरबीआई काउंटरों के माध्यम से छोटे मूल्य के नोटों का व्यापक वितरण सुनिश्चित किया जाए। साथ ही, सिक्कों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए पहले आयोजित किए जा चुके ‘कॉइन मेला’ को दोबारा शुरू करने का प्रस्ताव भी रखा गया है।

संघ का मानना है कि ऐसे मेले पंचायतों, सहकारी संस्थाओं, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और स्वयं सहायता समूहों के सहयोग से आयोजित किए जा सकते हैं, जिससे छोटे मूल्य की मुद्रा आम लोगों तक आसानी से पहुंच सके और नकद लेनदेन की मौजूदा परेशानी कम हो।

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