रुपये की बढ़ेगी धाक! RBI ने व्यापार को लेकर किए अहम बदलाव, पड़ोसी देशों में बढ़ेगा कारोबार

Edited By Updated: 01 Oct, 2025 01:43 PM

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बड़ा कदम उठाते हुए नेपाल, भूटान और श्रीलंका को रुपये में कर्ज देने की अनुमति दी है। इस फैसले से पड़ोसी देशों के साथ व्यापार आसान होगा और रुपये का अंतरराष्ट्रीय उपयोग बढ़ेगा। आरबीआई ने मुद्रा दरों में पारदर्शिता और स्पेशल...

नेशनल डेस्क : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को एक अहम योजना का ऐलान किया है, जिसके तहत भारतीय रुपया अब पड़ोसी देशों के साथ व्यापार में और ज्यादा इस्तेमाल किया जा सकेगा। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि भारत के बैंक अब नेपाल, भूटान और श्रीलंका को रुपये में कर्ज दे सकेंगे। यह कर्ज विशेष रूप से व्यापार से जुड़ी जरूरतों के लिए होगा।

जानकारों का कहना है कि इस कदम से भारतीय रुपया अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनने की दिशा में बड़ा कदम आगे बढ़ाएगा। गौरतलब है कि भारत का दक्षिण एशियाई देशों को निर्यात करीब 25 अरब डॉलर का है, जिसमें से लगभग 90% हिस्सा नेपाल, भूटान और श्रीलंका जैसे देशों को जाता है। ऐसे में इस फैसले से भारत और पड़ोसी देशों के बीच आर्थिक रिश्ते और भी मजबूत होंगे।

मुद्रा के दाम तय करने में आएगी पारदर्शिता
आरबीआई ने एक और महत्वपूर्ण फैसला लिया है। अब भारत के बड़े व्यापारिक साझेदार देशों की मुद्राओं के लिए स्पष्ट और भरोसेमंद रेफरेंस रेट तय किए जाएंगे। आसान भाषा में कहें तो रुपये और अन्य मुद्राओं की कीमत तय करने में पारदर्शिता आएगी। इससे व्यापारियों और कारोबारियों को फायदा होगा, क्योंकि वे आसानी से जान पाएंगे कि रुपया किन देशों की मुद्राओं के मुकाबले किस दाम पर खड़ा है। इसका सीधा असर बिलिंग और लेन-देन की प्रक्रिया पर पड़ेगा और रुपये की कीमत में होने वाले उतार-चढ़ाव से व्यापारियों की दिक्कतें कम होंगी।

कंपनियां भी खरीद सकेंगी कॉरपोरेट बॉन्ड
आरबीआई ने स्पेशल रुपया वोस्ट्रो अकाउंट्स (SRVAs) से जुड़ी व्यवस्था में भी बदलाव किया है। अब इन खातों में जमा पैसों का इस्तेमाल सिर्फ कारोबार तक सीमित नहीं रहेगा। विदेशी निवेशक इन पैसों से कॉरपोरेट बॉन्ड्स और कमर्शियल पेपर्स भी खरीद सकेंगे। पहले विदेशी निवेशकों को केवल सरकारी सिक्योरिटीज खरीदने की अनुमति थी, लेकिन अब कॉरपोरेट बॉन्ड्स का रास्ता खुलने से भारत में निवेश के नए विकल्प बढ़ेंगे। इससे रुपये की मांग और ज्यादा बढ़ेगी तथा विदेशी पूंजी भारत की ओर आकर्षित होगी।

रुपये को मिलेगी अंतरराष्ट्रीय पहचान
आरबीआई लगातार कोशिश कर रहा है कि भारतीय रुपया सिर्फ घरेलू लेन-देन तक सीमित न रहकर एक भरोसेमंद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बने। इसके लिए बैंक पहले ही कई कदम उठा चुका है, जैसे–

मुद्रा विनिमय के समझौते,

भारत के डिजिटल पेमेंट सिस्टम (जैसे UPI) को सीमा पार ले जाना,

रुपये की कीमतों को स्थिर बनाए रखना।

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