Edited By Mehak,Updated: 18 Oct, 2025 05:27 PM

एचआईवी वायरस समय के साथ तीन स्टेज में बढ़ता है। स्टेज 1 (एक्यूट HIV इंफेक्शन) में वायरस तेजी से फैलता है और फ्लू जैसे हल्के लक्षण दिख सकते हैं। स्टेज 2 (क्रोनिक HIV इंफेक्शन) में लक्षण हल्के या नहीं होते, लेकिन वायरस सक्रिय रहता है। स्टेज 3 (एड्स)...
नेशनल डेस्क : एचआईवी (HIV) वायरस से संक्रमित होना गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। डॉक्टरों का मानना है कि यदि किसी को लगता है कि वह एचआईवी के संपर्क में आया है, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना बेहद जरूरी है। समय पर इलाज न कराने पर यह संक्रमण तीन स्टेज में फैलता है, और हर स्टेज में लक्षण और खतरे अलग होते हैं।
स्टेज 1 – Acute HIV Infection
एचआईवी शरीर में प्रवेश करने के तुरंत बाद तेजी से फैलने लगता है और खून में इसकी मात्रा बढ़ जाती है। इस दौरान यह सबसे संक्रामक होता है और आसानी से दूसरों तक फैल सकता है। वायरस खून, वीर्य, योनि द्रव्य, रेक्टल फ्लूइड और स्तन दूध के जरिए फैलता है। संक्रमण के 2–4 हफ्तों में कई लोगों में फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे बुखार, थकान और सिरदर्द। हालांकि हर व्यक्ति में लक्षण दिखना अनिवार्य नहीं है।
इलाज: इस स्टेज में यदि Post-exposure prophylaxis (PEP) तुरंत लिया जाए तो संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है।
स्टेज 2 – Chronic HIV Infection
पहले स्टेज के बाद, यदि इलाज नहीं हुआ तो वायरस शरीर में धीरे-धीरे सक्रिय रहता है। इसे Asymptomatic Stage या Clinical Latency कहा जाता है, क्योंकि इस दौरान लक्षण या तो कम होते हैं या तो दिखते ही नहीं हैं। इस स्टेज में भी वायरस दूसरों तक फैल सकता है।
इलाज: Antiretroviral Therapy (ART) से संक्रमण को नियंत्रण में रखा जा सकता है। दवा लेने से वायरल लोड कम हो जाता है और यदि यह इतना कम हो कि टेस्ट में न दिखे, तो व्यक्ति दूसरों को संक्रमण नहीं फैला सकता। इसे U=U (Undetectable = Untransmittable) कहा जाता है।
स्टेज 3 – AIDS
एचआईवी का सबसे खतरनाक स्टेज एड्स है। इस स्टेज में इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और सामान्य संक्रमणों से लड़ने में शरीर असमर्थ हो जाता है। वायरल लोड बढ़ता है और CD4 सेल्स की संख्या 200 से कम हो जाती है। इस स्टेज में जान जाने की खतरा भी ज्यादा होता है।
इस स्टेज में व्यक्ति को Opportunistic संक्रमण हो सकते हैं, जो सामान्य लोगों को नहीं होते।
स्टेज 3 के लक्षण:
- लगातार बुखार और रात में पसीना
- वजन घट जाना
- लगातार खांसी और सांस में दिक्कत
- त्वचा या मुंह पर बार-बार संक्रमण
- दस्त और कमजोरी
सावधानी और बचाव:
- यदि किसी को एचआईवी के संपर्क का संदेह है, तो तुरंत डॉक्टर से जांच और PEP दवा लें।
- जो लोग लगातार जोखिम में रहते हैं, वे Pre-exposure prophylaxis (PrEP) का उपयोग कर सकते हैं।
- समय पर इलाज से संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है और एड्स में बदलने से बचा जा सकता है।