शादीशुदा मर्द को जबरदस्ती संबंध बनाने के लिए मजबूर करना महिला को पड़ा भारी, कोर्ट ने लगा दी 'नो-कॉन्टैक्ट' की मुहर

Edited By Updated: 31 Jul, 2025 12:51 PM

rohini court s unique decision woman stopped from stalking man

दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने एक अनोखे मामले में सख्त फैसला सुनाते हुए एक शादीशुदा महिला को एक पुरुष और उसके परिवार का पीछा करने, परेशान करने और उनसे किसी भी तरह का संपर्क करने से रोक लगा दिया है। यह मामला तब सामने आया जब एक शादीशुदा पुरुष ने कोर्ट में...

नेशनल डेस्क। दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने एक अनोखे मामले में सख्त फैसला सुनाते हुए एक शादीशुदा महिला को एक पुरुष और उसके परिवार का पीछा करने, परेशान करने और उनसे किसी भी तरह का संपर्क करने से रोक लगा दिया है। यह मामला तब सामने आया जब एक शादीशुदा पुरुष ने कोर्ट में याचिका दायर कर महिला के उत्पीड़न और धमकियों से सुरक्षा की गुहार लगाई। व्यक्ति ने कोर्ट को बताया कि महिला उससे शारीरिक संबंध स्थापित करने के लिए दबाव डाल रही थी और उसका लगातार पीछा कर रही थी। यह फैसला सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है क्योंकि आमतौर पर ऐसे मामले महिलाओं के उत्पीड़न से संबंधित होते हैं।

पुरुष ने लगाई सुरक्षा की गुहार

याचिकाकर्ता पुरुष जो एक परिवार वाला व्यक्ति है ने कोर्ट को बताया कि महिला उससे शारीरिक संबंध स्थापित करने के लिए दबाव डाल रही थी और उसका लगातार पीछा कर रही थी। महिला ने कथित तौर पर धमकी दी थी कि यदि उसकी बात नहीं मानी गई तो वह आत्महत्या कर लेगी। पुरुष ने बताया कि महिला उनके घर तक पहुंच गई थी जिससे वह और उनका परिवार भयभीत हो गया था। इसी डर और उत्पीड़न के चलते पुरुष ने रोहिणी कोर्ट में याचिका दायर कर सुरक्षा की मांग की।

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कोर्ट का सख्त आदेश: 300 मीटर का दायरा

रोहिणी कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई की। कोर्ट ने महिला को सख्त निर्देश दिए कि:

➤ वह पुरुष के घर के 300 मीटर के दायरे में प्रवेश नहीं करेगी।

➤ न ही वह फोन कॉल, सोशल मीडिया या किसी अन्य माध्यम से उनसे संपर्क करेगी।

➤ इसके अलावा महिला को पुरुष के परिवार के किसी भी सदस्य से मिलने या संपर्क करने से भी मना किया गया है।

कोर्ट ने इस आदेश के उल्लंघन को गंभीरता से लेने की चेतावनी दी है।

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लैंगिक समानता और कानून की अहमियत

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला न केवल याचिकाकर्ता पुरुष और उसके परिवार को राहत देगा बल्कि यह भी दर्शाता है कि कानून लैंगिक भेदभाव से ऊपर उठकर सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 354D (पीछा करना) के तहत इस तरह के मामलों में कार्रवाई की जा सकती है और कोर्ट का यह आदेश उस दिशा में एक सकारात्मक कदम है।

राष्ट्रीय महिला आयोग और अन्य संगठनों ने भी इस तरह के मामलों में पीड़ितों को त्वरित कानूनी सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। इस मामले ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि समाज में व्यक्तिगत सीमाओं और निजता के अधिकार का सम्मान कितना ज़रूरी है।

फिलहाल रोहिणी कोर्ट के इस आदेश से याचिकाकर्ता पुरुष और उसके परिवार को राहत मिली है। कोर्ट का यह फैसला न केवल इस मामले में महत्वपूर्ण है बल्कि भविष्य में इस तरह के उत्पीड़न के मामलों में एक और मिसाल भी कायम कर सकता है।

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