इस राज्य में खुला पहला Bone Bank, हादसे और कैंसर से जूझ रहे मरीजों को मिल रही नई जिंदगी, जानिए कैसे करता है काम?

Edited By Updated: 31 Jul, 2025 12:27 PM

kota s bone bank becomes a new hope for bones

हादसों और बीमारियों के बाद अक्सर मरीजों की जिंदगी थम सी जाती है खासकर जब बात हड्डियों से जुड़े गंभीर रोगों की हो। ऐसे में कोटा मेडिकल कॉलेज में स्थापित राज्य का पहला 'बोन बैंक' एक नई उम्मीद बनकर उभरा है। यह न केवल कोटा बल्कि अन्य जिलों और यहां तक कि...

नेशनल डेस्क। हादसों और बीमारियों के बाद अक्सर मरीजों की जिंदगी थम सी जाती है खासकर जब बात हड्डियों से जुड़े गंभीर रोगों की हो। ऐसे में कोटा मेडिकल कॉलेज में स्थापित राज्य का पहला 'बोन बैंक' एक नई उम्मीद बनकर उभरा है। यह न केवल कोटा बल्कि अन्य जिलों और यहां तक कि बाहर से आने वाले मरीजों के लिए भी किसी वरदान से कम नहीं साबित हो रहा है। वर्ष 2021 में स्थापित इस बोन बैंक से अब तक 61 मरीजों को जीवनदायी मदद मिल चुकी है जिनमें उदयपुर, जोधपुर व अन्य जिलों के 19 मरीज भी शामिल हैं। यह प्रदेश का पहला और देश का दूसरा बोन बैंक है जो फिलहाल सिर्फ सूरत में ही मौजूद था।

ऐसे काम करता है बोन बैंक

बोन बैंक की कार्यप्रणाली बेहद आधुनिक और वैज्ञानिक है। इसमें ऑपरेशन के दौरान जीवित मरीजों से ऐसी हड्डियां ली जाती हैं जो उनके लिए अब उपयोगी नहीं होतीं जैसे कूल्हे, घुटने या अन्य हिस्से से खराब हो चुकी हड्डियां। इन हड्डियों को सीधे उपयोग में नहीं लाया जाता बल्कि उनका पहले विशेष ट्रीटमेंट किया जाता है।

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उपयोगी और रोगमुक्त हड्डियों को फिर माइनस 80 डिग्री तापमान वाले डीप फ्रीजर में रखा जाता है। सही होने के बाद इन हड्डियों को 6 महीने तक फ्रीज करके रखा जाता है और रेडिएशन से कीटाणु मुक्त किया जाता है ताकि संक्रमण का कोई खतरा न रहे। इस प्रक्रिया के बाद ही ये हड्डियां प्रत्यारोपण के लिए तैयार मानी जाती हैं।

किन मरीजों के लिए फायदेमंद है यह बोन बैंक?

हड्डी प्रत्यारोपण की ज़रूरत कैंसर से हड्डियों को खो चुके मरीजों, जन्मजात हड्डी विकृति से ग्रसित बच्चों, दुर्घटना से प्रभावित लोगों और अन्य जटिल हड्डी रोगों में होती है। बोन बैंक ने न केवल इलाज को सुलभ बनाया है बल्कि आर्थिक बोझ को भी कम किया है क्योंकि बाहरी स्रोतों से हड्डी मंगवाना बहुत महंगा होता है।

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➤ केस 1: दिल्ली निवासी जयप्रकाश (22)

हड्डी का कैंसर होने के कारण जयप्रकाश काफी परेशान था। किसी परिचित से कोटा मेडिकल कॉलेज के बोन बैंक के बारे में पता चलने पर वह यहां आया। चिकित्सकों ने परीक्षण के बाद 24 मई 2024 को उसकी कैंसर वाली हड्डी को बोन बैंक के माध्यम से सफलतापूर्वक बदल दिया।

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➤ केस 2: बारां निवासी नर्सिंग ऑफिसर ललितेश (36)

ललितेश के कूल्हे की हड्डी गल चुकी थी जिससे वह सालभर से परेशान था और उसे एन्यूरिजमल बोन सिस्ट हो चुका था। इसमें 70 सेमी से ज़्यादा का गैप हो चुका था। बोन बैंक से हड्डी लेकर ऑपरेशन कर प्लेट से उसे जोड़ा गया जिससे अब वह आसानी से चल-फिर सकता है।

यह बोन बैंक उन हज़ारों मरीजों के लिए संजीवनी का काम कर रहा है जिन्हें हड्डियों से जुड़ी गंभीर समस्याओं के कारण सामान्य जीवन जीने में दिक्कत आती थी।

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