‘उसी भाषा में मुंहतोड़ जवाब दो, जिसमें वो समझे’, पाकिस्तान को लेकर RSS प्रमुख मोहन भागवत ने केंद्र को बताया फॉर्मूला

Edited By Updated: 10 Nov, 2025 01:20 AM

rss chief mohan bhagwat told the centre the formula regarding pakistan

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि पाकिस्तान के साथ स्थायी शांति के लिए भारत को 'पाकिस्तान की समझ में आने वाली भाषा में बात करनी चाहिए', जिसमें शक्ति, आत्मनिर्भरता और प्रभावी ढंग से जवाब देने की क्षमता का समावेश...

नेशनल डेस्कः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि पाकिस्तान के साथ स्थायी शांति के लिए भारत को 'पाकिस्तान की समझ में आने वाली भाषा में बात करनी चाहिए', जिसमें शक्ति, आत्मनिर्भरता और प्रभावी ढंग से जवाब देने की क्षमता का समावेश हो। भागवत संघ स्थापना के 100 वर्ष पूरे पर होने के उपलक्ष्य में बेंगलुरु में आयोजित व्याख्यान श्रृंखला के तहत एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। 

उन्होंने कहा कि भारत अपनी ओर से शांति बनाए रख सकता है, लेकिन स्थायी स्थिरता पाकिस्तान की पारस्परिक प्रतिक्रिया की इच्छा पर निर्भर करेगी। उन्होंने अगले दशक में द्विपक्षीय संबंधों में स्थिरता प्राप्त करने के लिए एक व्यावहारिक द्दष्टिकोण की रूपरेखा प्रस्तुत की, जिसमें तैयारी, प्रतिरोध और रचनात्मक जुड़ाव पर ज़ोर दिया गया। उन्होंने कहा, 'जब तक पाकिस्तान भारत को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियां जारी रखेगा, इसलिए शांति के किसी भी द्दष्टिकोण में तत्परता, द्दढ़ता और सहयोग का समावेश होना चाहिए।' 

भागवत ने ज़ोर देकर कहा, 'हमें पाकिस्तान की समझ में आने वाली भाषा में बात करनी होगी जो ताकत, आत्मनिर्भरता और प्रभावी ढंग से जवाब देने की क्षमता है और तभी शांति स्थायी हो सकती है।' उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि भारत को एक ईमानदार और सहयोगी पड़ोसी बने रहना चाहिए और अपने हितों की रक्षा करते हुए पाकिस्तान की प्रगति का समर्थन करना चाहिए। उन्होंने कहा, 'समय के साथ यह द्दष्टिकोण पाकिस्तान को संघर्ष का स्रोत बनने के बजाय भारत की प्रगति के साथ जुड़ा एक शांतिपूर्ण पड़ोसी बनने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।' 

भागवत ने भारत की ओर से शांति बनाए रखने, किसी भी विश्वासघात का मुक़ाबला करने के लिए तैयार रहने और आपसी समझ को बढ़ावा देने के लिए रचनात्मक रूप से बातचीत करने का एक समग्र रणनीतिक संयोजन बताया। भागवत ने रोहिंग्याओं सहित अवैध घुसपैठ को बढ़ावा देने वाली ऐतिहासिक, प्रशासनिक और सामाजिक चुनौतियों का उल्लेख करते हुये कहा कि कुछ स्थानों पर सीमा क्षेत्रों में कमजोर सुरक्षा स्थितियों का फायदा उठाकर घुसपैठ की जा रही है। 

भागवत ने कहा कि भारत की कई वर्तमान सीमाएं 'अप्राकृतिक' हैं और औपनिवेशिक शासन के दौरान मनमाने ढंग से खींची गई थीं जिससे देश का विभाजन हो गया था। उन्होंने इस तरह के सीमांकन में मौजूद विसंगतियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि कुछ इलाकों में रसोई बांग्लादेश में हो सकती है जबकि शौचालय भारत में। उन्होंने कहा, 'ऐसे विभाजन पूर्ण बंदोबस्ती को जटिल बना देते हैं।' 

भागवत ने ज़ोर देकर कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सीमाएं पूरी तरह सुरक्षित और सुद्दढ़ हों ताकि प्रशासनिक खामियों का फायदा उठाकर अवैध प्रवास और संगठित गिरोहों की गतिविधियों को रोका जा सके। भ्रष्टाचार और सामाजिक मिलीभगत को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि इन मुद्दों को ठीक करने के लिए सरकार की कड़ी कारर्वाई और नागरिकों में जागरूकता बढ़ाने की ज़रूरत है। भागवत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सीमाओं को सुरक्षित करना राष्ट्रीय सुरक्षा, भारत की संस्कृति के संरक्षण और एकता बनाए रखने के लिए ज़रूरी है।

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