क्या अब कैंसर का अंत करीब है? वैज्ञानिकों की नई खोज से जगी उम्मीद... बनाई mRNA वैक्सीन

Edited By Updated: 19 Jul, 2025 04:56 PM

scientists have achieved great success against cancer created mrna vaccine

कैंसर जैसी घातक बीमारी से लड़ने में वैज्ञानिकों को एक नई सफलता मिली है। अमेरिका के फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी mRNA वैक्सीन विकसित की है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को ट्यूमर के खिलाफ लड़ने में प्रशिक्षित करती है। यह वैक्सीन...

नेशनल डेस्क: कैंसर जैसी घातक बीमारी से लड़ने में वैज्ञानिकों को एक नई सफलता मिली है। अमेरिका के फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी mRNA वैक्सीन विकसित की है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को ट्यूमर के खिलाफ लड़ने में प्रशिक्षित करती है। यह वैक्सीन फिलहाल चूहों, कुत्तों और चार इंसानों पर सफलतापूर्वक परीक्षण की जा चुकी है। यह अध्ययन प्रतिष्ठित Nature Biomedical Engineering जर्नल में प्रकाशित हुआ है और इसे कैंसर उपचार के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी खोज माना जा रहा है।

कैसे काम करती है यह वैक्सीन?
यह mRNA वैक्सीन पारंपरिक ट्यूमर टारगेटिंग वैक्सीन की तरह नहीं है। इसकी खास बात यह है कि यह सीधे किसी एक प्रोटीन को नहीं, बल्कि पूरे इम्यून सिस्टम को सक्रिय करती है ताकि शरीर खुद ट्यूमर से लड़ सके। इसे कोविड-19 वैक्सीन की तकनीक से प्रेरित होकर विकसित किया गया है, लेकिन इसमें दो बड़े बदलाव किए गए हैं—पहला, यह वैक्सीन मरीज के खुद के ट्यूमर सेल्स से पर्सनलाइज्ड बनाई जाती है; दूसरा, इसमें विशेष तरह के लिपिड नैनोपार्टिकल्स का इस्तेमाल किया गया है जो इम्यून सिस्टम को तेज़ी से एक्टिवेट करते हैं।

ग्लियोब्लास्टोमा पर असरदार
ग्लियोब्लास्टोमा नाम का ब्रेन ट्यूमर बेहद खतरनाक माना जाता है, जिसमें सर्जरी और कीमोथेरेपी जैसी पारंपरिक विधियां ज्यादा प्रभावी नहीं हैं। इस वैक्सीन ने चूहों और कुत्तों में इस ट्यूमर को कम करने में सकारात्मक परिणाम दिखाए हैं।

48 घंटे में असर
वैक्सीन ने 48 घंटे के अंदर इम्यून सिस्टम को ट्यूमर के खिलाफ सक्रिय कर दिया। हालांकि, इंसानों पर शुरुआती ट्रायल में कुछ साइड इफेक्ट्स भी देखे गए, जिन्हें वैज्ञानिकों ने ‘मैनेज करने योग्य’ बताया है। वैज्ञानिक अब इसका बड़े पैमाने पर फेज 1 ट्रायल बच्चों के ब्रेन कैंसर पर शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं।

7 साल की मेहनत का नतीजा
इस रिसर्च को पूरा होने में 7 साल लगे हैं। इसके मुख्य वैज्ञानिक डॉ. एलियास सयूर और सह-लेखक डॉ. डुआने मिशेल का मानना है कि यदि यह वैक्सीन आगे के ट्रायल्स में सफल होती है, तो यह “यूनिवर्सल कैंसर वैक्सीन” बन सकती है, जो कई तरह के कैंसर के खिलाफ कारगर होगी।

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