शीला दीक्षित का सोनिया गांधी के नाम लिखा आखिरी खत आया सामने

Edited By Updated: 23 Jul, 2019 01:36 PM

sheila dikshit last letter written in the name of sonia gandhi

दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित का संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखा आखिरी खत सामने आया है। दुनिया को अलविदा कह चुकीं दिल्ली की पूर्व सीएम ने यह खत 8 जुलाई को सोनिया गांधी को लिखा था।

नई दिल्लीः दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित का संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखा आखिरी खत सामने आया है। दुनिया को अलविदा कह चुकीं दिल्ली की पूर्व सीएम ने यह खत 8 जुलाई को सोनिया गांधी को लिखा था। इस खत में शीला दीक्षित ने राज्य प्रभारी पीसी चाको के साथ सियासी टकराव से लेकर दिल्ली कांग्रेस में चल रही राजनीति को लेकर तमाम बातें कही थीं। शीला दीक्षित ने सोनिया को खत में दिल्ली के नेताओं की भूमिका की भी जांच कराने की मांग की थी। दिवगंत पूर्व सीएम ने दिल्ली में चल रहे सारे सियासी ड्रामे के लिए अजय माकन को जिम्मेदार बताया था।
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शीला ने ये लिखा था खत में
शीला दीक्षित ने खत में लिखा कि मैं दिल्ली कांग्रेस को मजबूत बनाने के लिए काम कर रही हूं लेकिन अजय माकन के इशारे पर पीसी चाको बेवजह के कदम उठा रहे हैं और मेरे काम में अड़ंगा डाल रहे हैं। शीला दीक्षित ने आरोप लगाया था कि माकन चाको को गुमराह कर रहे हैं जिस वजह से वे पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं और मेरे फैसलों का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने लिखा कि माकन और चाको दोनों ही दिल्ली में गठबंधन चाहते थे लेकिन मैं ही अकेली इसके विरुद्ध खड़ी रही, मेरे हठ का नतीजा सबके सामने है कि बिना गठबंधन के कांग्रेस दिल्ली में दूसरे नंबर की पार्टी बनी। उन्होंने सोनिया को लिखा था कि दिल्ली कांग्रेस के हालिया विवाद में आप (मेरी, चाको और माकन) हम तीनों की भूमिका की जांच करा लें, मेरे आरोप सही साबित होंगे। 
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लोकसभा चुनाव में चाको और माकन से बढ़ा मतभेद
शीला दीक्षित का पीसी चाको और अजय माकन के साथ मतभेद काफी समय से चल रहे थे लेकिन लोकसभा चुनाव के समय यह मतभेद काफी बढ़ गया था और खुलकर यह बात सामने भी आई थी। दरअसल दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल कांग्रेस के साथ गठबंधन करना चाहते थे। चाको और अजय माकन इस पक्ष में थे लेकिन शीला दीक्षित ने इसका विरोध किया था। आप के साथ गठबंधन पर आखिरी समय तक सस्पेंस बना रहा और आखिरकार कांग्रेस ने शीला दीक्षित की बात मानी और गठबंधन नहीं हुआ लेकिन पार्टी दिल्ली में सभी सीटें हार गई।

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बता दें कि शनिवार को शीला दीक्षित (81) का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। 3 बजकर 55 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली। वे  दिसंबर 1998 से दिसंबर 2013 तक दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रहीं। दिल्ली को संवारने में उनकी भूमिका काफी अहम रही है। हाल ही में उन्हें दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष बनाया गया था। 

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