Edited By Rohini Oberoi,Updated: 21 Dec, 2025 03:40 PM

दुनिया के लगभग सभी विकसित देशों में एक बात पूरी तरह समान है। वहां की उच्च साक्षरता दर (Literacy Rate)। अमेरिका, जापान और यूरोपीय देशों ने अपनी शिक्षा व्यवस्था को मजबूत कर ही आर्थिक ऊंचाइयों को छुआ है। इसके विपरीत कई ऐसे देश हैं जहां आज भी शिक्षा की...
नेशनल डेस्क। दुनिया के लगभग सभी विकसित देशों में एक बात पूरी तरह समान है। वहां की उच्च साक्षरता दर (Literacy Rate)। अमेरिका, जापान और यूरोपीय देशों ने अपनी शिक्षा व्यवस्था को मजबूत कर ही आर्थिक ऊंचाइयों को छुआ है। इसके विपरीत कई ऐसे देश हैं जहां आज भी शिक्षा की पहुंच बहुत कम है। साक्षरता दर न केवल यह बताती है कि कितने लोग पढ़-लिख सकते हैं बल्कि यह उस देश के भविष्य और विकास की क्षमता का भी पैमाना है। आइए जानते हैं कि साक्षरता का असली मतलब क्या है और दुनिया के किन देशों में यह दर सबसे चिंताजनक है।
दुनिया के 10 सबसे कम साक्षर देश
नीचे दी गई सूची उन देशों को दर्शाती है जहां साक्षरता दर सबसे कम है। इन देशों में शिक्षा के बुनियादी ढांचे, गृहयुद्ध और गरीबी जैसे कारणों से साक्षरता का स्तर काफी नीचे है:
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रैंक
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देश
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साक्षरता दर (%)
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1
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नाइजर
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19.10%
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2
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चाड
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27%
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3
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माली
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31%
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4
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दक्षिण सूडान
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34.5%
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5
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अफगानिस्तान
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37.3%
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6
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केन्द्रीय अफ्रीकी गणराज्य
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37.5%
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7
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सोमालिया
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41%
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8
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गिनी
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45.3%
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9
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बुर्किना फासो
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46%
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10
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बेनिन
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47%
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साक्षरता दर (Literacy Rate) क्या है?
आसान शब्दों में कहें तो साक्षरता दर यह बताती है कि किसी देश की 7 वर्ष या उससे अधिक आयु की कुल आबादी में से कितने प्रतिशत लोग किसी भाषा को समझने के साथ पढ़ और लिख सकते हैं।
साक्षरता का महत्व केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं है:
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निर्णय लेने की क्षमता: शिक्षित व्यक्ति अपने जीवन और स्वास्थ्य के प्रति बेहतर निर्णय ले पाता है।
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रोजगार के अवसर: साक्षर होने से कौशल विकास (Skill Development) में आसानी होती है जिससे बेहतर नौकरी मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
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सामाजिक भागीदारी: साक्षरता व्यक्ति को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बनाती है और समाज के विकास में सक्रिय भूमिका निभाने में मदद करती है।

कम साक्षरता के मुख्य कारण और प्रभाव
जिन देशों में साक्षरता दर 50% से कम है वहां अक्सर कुछ साझा समस्याएं देखी जाती हैं:
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संसाधनों की कमी: स्कूलों और शिक्षकों की भारी कमी।
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अस्थिरता: युद्ध और राजनीतिक उथल-पुथल के कारण बच्चों की शिक्षा बीच में ही छूट जाना।
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गरीबी: कई देशों में बच्चों को शिक्षा के बजाय कम उम्र में काम (Child Labor) पर भेज दिया जाता है।
विकसित देशों का अनुभव सिखाता है कि शिक्षा पर निवेश करना ही देश की अर्थव्यवस्था को बदलने का सबसे कारगर तरीका है।