Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 Oct, 2019 08:57 AM
दीपावली महापर्व कार्तिक कृष्ण तिथि अमावस के दिन प्रदोष काल में मनाया जाता है। इस वर्ष यह अमावस दो दिन, 27 तथा 28 अक्तूबर को है। 27 अक्तूबर को अमावस दोपहर 12.23 (जालंधर समय)
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दीपावली महापर्व कार्तिक कृष्ण तिथि अमावस के दिन प्रदोष काल में मनाया जाता है। इस वर्ष यह अमावस दो दिन, 27 तथा 28 अक्तूबर को है। 27 अक्तूबर को अमावस दोपहर 12.23 (जालंधर समय) के उपरांत प्रारंभ होगी तथा यह मध्याहन, अपराहन, प्रदोष, निशीथ व महानिशीथ व्यापिनी होगी जबकि 28 अक्तूबर को प्रात: 9.09 (जालंधर समय) तक ही रहेगी।
श्री महालक्ष्मी पूजन के समय यदि कार्तिक अमावस प्रदोष काल तथा अर्धरात्रि व्यापिनी हो तो उसे बहुत शुभ तथा कल्याणकारी समझा जाता है। भविष्य पुराण में भी कहा गया है:
कार्तिके प्रदोषे तु विशेषेण अमावस्या निशावर्धके। तस्या सम्पूज्येत् देवीं भोग मोक्ष प्रदायिनीम्॥
इसलिए इस वर्ष श्री महालक्ष्मी पूजन (दीपावली) महापर्व 27 अक्तूबर, रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन चित्रा नक्षत्र होगा, चंद्रमा तुला राशि (सायं 4.32 पर तुला राशि पर प्रवेश करेगा) पर होगा। जालंधर के आसपास क्षेत्रों में वृष लगन सायं 6.50 से लेकर रात 9.26 तक रहेगा। जालंधर में प्रदोष काल सायं 5.40 से प्रारंभ होकर रात 8.16 तक रहेगा। उस दिन सायं 7.18 से लेकर रात 8.56 तक अमृत की चौघडिय़ां होंगी, इसलिए श्री महालक्ष्मी पूजन, कुबेर पूजा, दीपदान तथा बही खातों (अकाऊंट्स बुक्स) का पूजन इत्यादि सायं 5.40 (जालंधर समय) के उपरांत शुरू किया जा सकता है, फिर भी सायं 6.50 से लेकर रात 8.56 के बीच कर लेना अधिक शुभ एवं कल्याणकारी रहेगा किन्तु यदि पूजन कार्य रात 8.56 तक पूर्ण न हो सके तो फिर अधिकाधिक रात 10.34 तक भी कर सकते हैं।