'लैंडिंग के बाद फोन उठाने लगा तो बहुत भारी लगा' अंतरिक्ष से लौटने के बाद पहली बार शुभांशु शुक्ला ने शेयर किए दिलचस्प किस्से

Edited By Updated: 03 Aug, 2025 12:56 PM

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Ax-4 अंतरिक्ष मिशन से धरती पर सफल वापसी के बाद भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने मीडिया से पहली बार बातचीत की। इस दौरान उन्होंने अंतरिक्ष में बिताए अपने अनुभवों को शेयर किया और बताया कि माइक्रोग्रैविटी से वापस पृथ्वी की ग्रैविटी में...

नेशनल डेस्क : Ax-4 अंतरिक्ष मिशन से धरती पर सफल वापसी के बाद भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने मीडिया से पहली बार बातचीत की। इस दौरान उन्होंने अंतरिक्ष में बिताए अपने अनुभवों को शेयर किया और बताया कि माइक्रोग्रैविटी से वापस पृथ्वी की ग्रैविटी में तालमेल बिठाना कितना अनोखा और चुनौतीपूर्ण रहा।

ग्रैविटी की अहमियत का हुआ एहसास

शुभांशु ने कहा कि जब वह पहली बार धरती से बाहर अंतरिक्ष में पहुंचे, तब उन्हें महसूस हुआ कि गुरुत्वाकर्षण (gravity) हमारे जीवन में कितना ज़रूरी है। अंतरिक्ष में ग्रैविटी नहीं होती, जिससे शरीर को एक अलग माहौल में ढलना पड़ता है। लेकिन जब धरती पर लौटते हैं, तो फिर से उसी ग्रैविटी में ढलने की प्रक्रिया शुरू होती है।

फोन और लैपटॉप भी लगने लगे भारी

उन्होंने मुस्कुराते हुए बताया कि जब वह लैंडिंग के बाद अपना मोबाइल फोन उठाने लगे, तो उन्हें वह बहुत भारी लगा। यहां तक कि उन्होंने गलती से अपना लैपटॉप भी छोड़ दिया, यह सोचकर कि वह हवा में तैरता रहेगा। लेकिन लैपटॉप ज़मीन पर गिर गया। इस अनुभव से यह साफ हुआ कि अंतरिक्ष में शरीर हल्केपन का अभ्यस्त हो जाता है।

3 से 4 दिन में हुए सामान्य

शुभांशु ने बताया कि धरती पर वापस आने के बाद शरीर को फिर से संतुलन और ताकत हासिल करने में थोड़ा समय लगता है। इसके लिए पुनर्वास (rehabilitation) कार्यक्रम होता है, जिसमें शरीर की ताकत, तालमेल और संतुलन को फिर से धीरे-धीरे बढ़ाया जाता है। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया में उन्हें तीन से चार दिन लगे और अब वह पूरी तरह सामान्य हो चुके हैं।

जीरो ग्रैविटी में किए कई प्रयोग

अपने अंतरिक्ष मिशन के अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि उन्होंने वहां शून्य गुरुत्वाकर्षण (zero gravity) में कई वैज्ञानिक प्रयोग किए। उन प्रयोगों के कुछ नतीजे तो वहीं अंतरिक्ष में ही नजर आने लगे थे, जो बहुत प्रेरणादायक थे। उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष में हर चीज़ तैरती रहती है, ऐसे में प्रयोग करना भी एक चुनौती होता है।

भारत के लिए वैज्ञानिक डेटा भेजा गया

मिशन के दौरान जो भी वैज्ञानिक डेटा और सैंपल इकट्ठा किए गए, उन्हें भारत के प्रमुख शोध संस्थानों को भेजा जा चुका है। शुभांशु ने कहा कि जल्द ही वह इन परिणामों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

मैं अगली अंतरिक्ष यात्रा के लिए तैयार हूं - शुभांशु शुक्ला

अपनी बातचीत के अंत में ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने कहा कि अब वह पूरी तरह से फिट महसूस कर रहे हैं और अगली अंतरिक्ष यात्रा के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उनका यह आत्मविश्वास भारत के आगामी मानव अंतरिक्ष मिशनों को लेकर एक सकारात्मक संकेत है।


 

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