Jagannath Temple: भगवान जगन्नाथ मंदिर में दिखा दिव्य नज़ारा, जानें ऐसा होना शुभ या अशुभ!

Edited By Updated: 03 Sep, 2025 03:39 PM

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ओडिशा के पुरी स्थित श्रीजगन्नाथ मंदिर, जिसकी गिनती न केवल भारत के चार धामों में होती है बल्कि जिसे धरती पर बैकुंठ कहा जाता है, एक बार फिर रहस्य और भक्ति के केंद्र में आ गया है। इस बार एक दिव्य दृश्य ने वहां मौजूद श्रद्धालुओं को चौंका दिया।

नेशनल डेस्क:  ओडिशा के पुरी स्थित श्रीजगन्नाथ मंदिर, जिसकी गिनती न केवल भारत के चार धामों में होती है बल्कि जिसे धरती पर बैकुंठ कहा जाता है, एक बार फिर रहस्य और भक्ति के केंद्र में आ गया है। इस बार एक दिव्य दृश्य ने वहां मौजूद श्रद्धालुओं को चौंका दिया।

घटना बीते मंगलवार की है जब मंदिर के ऊपरी हिस्से में स्थित नीलचक्र पर लहराते पतितपावन ध्वज पर एक गरुड़ पक्षी आकर बैठ गया। कुछ पल तक वह वहां स्थिर रहा, जैसे किसी अदृश्य आदेश की प्रतीक्षा कर रहा हो। उसके बाद उड़ गया, लेकिन उसके जाने तक वहां खड़े भक्तों के मन में एक ही सवाल कौंध रहा था – क्या यह कोई सामान्य दृश्य था, या प्रभु जगन्नाथ की कोई दिव्य लीलात्मक अनुभूति?

गौरतलब है कि गरुड़, जो स्वयं भगवान विष्णु के वाहन माने जाते हैं, उनका इस तरह से जगन्नाथ मंदिर के ध्वज पर बैठना सामान्य बात नहीं मानी जाती। जहां कुछ लोग इसे अपशकुन कह रहे हैं, वहीं बड़ी संख्या में श्रद्धालु इसे भगवान जगन्नाथ का कोई संदेश मान रहे हैं। मंदिर परिसर में उस क्षण मौजूद कई लोगों ने इस दृश्य को अपने मोबाइल कैमरों में कैद भी किया, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने इस घटना को लेकर कोई चिंता जताने की जरूरत नहीं बताई है। प्रशासन का स्पष्ट कहना है कि गरुड़ के ध्वज पर बैठने से मंदिर की दैनिक पूजा-पद्धति या पारंपरिक रीति-रिवाजों पर कोई असर नहीं पड़ता। वे इस दृश्य को एक प्राकृतिक घटना मानते हैं, लेकिन श्रद्धालुओं की भावनाओं को भी समझते हैं, क्योंकि भगवान से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात को लोग संकेत के रूप में देखने लगते हैं।

बता दें कि इससे पहले भी इसी साल अप्रैल में भी एक गरुड़ को मंदिर के ध्वज के साथ उड़ते हुए देखा गया था। तब भी लोगों ने इसे शुभ संकेत मानते हुए खूब चर्चा की थी। लेकिन हर बार यह सवाल ज़रूर उठता है - क्या ये संयोग है या भगवान का संवाद?

मंदिर की खासियत
पुरी का श्रीजगन्नाथ मंदिर न केवल एक मंदिर है, बल्कि हिंदू आस्था का वो केंद्र है जहां लाखों लोग हर साल दर्शन के लिए आते हैं। भगवान विष्णु यहां जगन्नाथ रूप में अपनी बहन सुभद्राजी और भाई बलभद्रजी के साथ विराजते हैं। यह मंदिर वैष्णव परंपरा का अद्भुत प्रतीक है, जहां हर परंपरा, हर प्रतीक का गहरा आध्यात्मिक अर्थ होता है।
 

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