दुनिया का सबसे ऊंचा शिवलिंग: 2 लाख किलो है वजन, 100 पहियों वाले ट्रक से लाया जा रहा बिहार, जानें कहां होगा स्थापित

Edited By Updated: 16 Dec, 2025 07:59 PM

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बिहार के पूर्वी चंपारण में निर्माणाधीन विश्व के सबसे बड़े विराट रामायण मंदिर में स्थापना के लिए 33 फीट ऊंचा और 210 मीट्रिक टन वजनी शिवलिंग तमिलनाडु से लाया जा रहा है। यह शिवलिंग महाबलीपुरम में दस वर्षों में तैयार हुआ है और विशेष ट्रक से सड़क मार्ग...

नेशनल डेस्क : बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के चकिया क्षेत्र में विश्व के सबसे बड़े विराट रामायण मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इस भव्य मंदिर में स्थापना के लिए 33 फीट ऊंचा विशाल शिवलिंग तैयार किया गया है, जिसे तमिलनाडु के महाबलीपुरम से सड़क मार्ग के जरिए बिहार लाया जा रहा है। यह शिवलिंग एक ही ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित है और इसे तैयार करने में करीब दस साल का समय लगा है।

यह विशाल शिवलिंग तमिलनाडु के महाबलीपुरम स्थित पट्टीकाडु गांव में तराशा गया है। शिवलिंग को विशेष रूप से तैयार किए गए करीब 100 चक्कों वाले ट्रक के माध्यम से सड़क मार्ग से बिहार लाया जा रहा है। जानकारी के अनुसार, यह शिवलिंग पटना से लगभग 120 किलोमीटर दूर पूर्वी चंपारण जिले में निर्माणाधीन विराट रामायण मंदिर में स्थापित किया जाएगा।

20 दिन में बिहार पहुंचेगा शिवलिंग
सूत्रों के मुताबिक, शिवलिंग को लेकर ट्रक जबलपुर से नागपुर होते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग-44 (NH-44) से गुजर रहा है। इस विशालकाय शिवलिंग को अत्यधिक सावधानी के साथ महज 5 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ले जाया जा रहा है। अनुमान है कि यह शिवलिंग करीब 20 दिनों में बिहार पहुंचेगा। इस शिवलिंग के निर्माण पर लगभग तीन करोड़ रुपये की लागत आई है। नए साल में फरवरी महीने तक इसे विराट रामायण मंदिर में स्थापित किए जाने की योजना है।

210 मीट्रिक टन वजनी देश का सबसे बड़ा शिवलिंग
तमिलनाडु से बिहार लाया जा रहा यह शिवलिंग करीब 210 मीट्रिक टन वजनी है। रास्ते में जिन-जिन राज्यों और शहरों से यह गुजर रहा है, वहां श्रद्धालुओं द्वारा इसका भव्य स्वागत किया जा रहा है। इसे देश के किसी भी मंदिर में स्थापित होने वाला अब तक का सबसे बड़ा शिवलिंग माना जा रहा है। यह शिवलिंग काले ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया है।

  विराट रामायण मंदिर तीन मंजिला होगा, जिसमें इस विशाल शिवलिंग की स्थापना की जाएगी। चेन्नई के पास महाबलीपुरम में लगभग 250 टन वजन के ब्लैक ग्रेनाइट पत्थर की चट्टान को तराशकर मुख्य शिवलिंग के साथ सहस्रलिंगम भी बनाया गया है। उल्लेखनीय है कि आठवीं शताब्दी के बाद भारत में सहस्रलिंगम का निर्माण नहीं हुआ था। शिवलिंग की ऊंचाई 33 फीट, गोलाई 33 फीट और वजन करीब 200 टन है, जो रामेश्वरम की स्थापत्य शैली की याद दिलाएगा।

केसरिया-चकिया के बीच जानकीनगर में बन रहा विराट रामायण मंदिर
विराट रामायण मंदिर का निर्माण बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में केसरिया और चकिया के बीच जानकीनगर क्षेत्र में किया जा रहा है। यह स्थान पटना से लगभग 120 किलोमीटर दूर है। मंदिर परिसर में चार आश्रम बनाए जाएंगे। चकिया में बन रहा यह विराट रामायण मंदिर आचार्य किशोर कुणाल का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है। मंदिर का निर्माण पूरा होने के बाद यह विश्व का सबसे बड़ा मंदिर होगा।

उम्मीद जताई जा रही है कि मंदिर के निर्माण के बाद न सिर्फ बिहार और देश बल्कि दुनिया के विभिन्न देशों से श्रद्धालु और पर्यटक इसकी भव्यता देखने के लिए यहां आएंगे। यह मंदिर बिहार के प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थलों में शामिल हो जाएगा।

मंदिर की संरचना और स्थापत्य की विशेषताएं
विराट रामायण मंदिर का निर्माण महावीर मंदिर न्यास समिति द्वारा कराया जा रहा है। इसकी परिकल्पना और शुरुआत आचार्य किशोर कुणाल ने की थी। मंदिर का प्रवेश द्वार, गणेश स्थल, सिंह द्वार, नंदी प्रतिमा, शिवलिंग, गर्भगृह की पाइलिंग (नींव) समेत कई महत्वपूर्ण कार्य पूरे हो चुके हैं। यह मंदिर आकार में 1080 फीट लंबा और 540 फीट चौड़ा होगा। इसमें कुल 18 शिखर और 22 मंदिर बनाए जाएंगे। मुख्य शिखर की ऊंचाई 270 फीट होगी, जबकि चार शिखर 180 फीट, एक शिखर 135 फीट, आठ शिखर 108 फीट और एक शिखर 90 फीट ऊंचा होगा।

अंकोरवाट से भी बड़ा, 2023 में शुरू हुआ निर्माण कार्य
पूर्वी चंपारण के केसरिया के निकट कैथवलिया-बहुआरा क्षेत्र में बन रहा यह मंदिर दुनिया के सबसे बड़े मंदिरों में शामिल होगा। इसका निर्माण कार्य वर्ष 2023 में शुरू हुआ था, जबकि मंदिर का भूमिपूजन वर्ष 2012 में किया गया था। शुरुआत में इस मंदिर का नाम विराट अंकोरवाट मंदिर रखा गया था, क्योंकि इसका आकार कंबोडिया के अंकोरवाट मंदिर से भी बड़ा है।

हालांकि, कंबोडिया सरकार की आपत्ति और भूमि अधिग्रहण में देरी के कारण परियोजना में विलंब हुआ। सभी बाधाओं को पार करने के बाद अब 270 फीट ऊंचे मुख्य शिखर के साथ 540 फीट चौड़े और 1080 फीट लंबे विराट रामायण मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। मंदिर के लिए जमीन दान करने वालों में मो. इश्तियाक खान का नाम भी शामिल है।

मंदिर में बनेंगे 22 देवालय, रामायण के प्रसंगों का होगा सजीव चित्रण
विराट रामायण मंदिर परिसर में कुल 22 देवालय बनाए जाएंगे। इनमें एक देवालय गिरिधर गोपाल भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होगा। शेष 21 देवालयों में रामायण के प्रमुख प्रसंगों जैसे धनुषभंग, विश्वामित्र आश्रम में श्रीराम और भाइयों की शिक्षा, अहिल्या उद्धार, शबरी के जूठे बेर, केवट प्रसंग, भरत मिलाप सहित अन्य घटनाओं को मूर्त रूप दिया जाएगा।

जिस क्षेत्र में यह मंदिर बन रहा है, वहां जनकपुर से लौटती राम बारात के दूसरे दिन ठहरने की मान्यता है। इस परंपरा को संजोने के लिए 120 एकड़ के परिसर में विवाह भवन और धर्मशाला का निर्माण भी किया जाएगा। अयोध्या से जनकपुर तक विकसित किए जा रहे राम जानकी मार्ग पर विराट रामायण मंदिर एक महत्वपूर्ण धार्मिक पड़ाव होगा।

बिना अग्रिम भुगतान के हो रहा निर्माण कार्य
कंबोडिया के अंकोरवाट मंदिर का शिखर 220 फीट ऊंचा है। भारत में कुछ अन्य मंदिरों में भी 270 फीट से ऊंचे शिखर प्रस्तावित हैं, लेकिन एक साथ इतने ऊंचे और अनेक शिखर केवल विराट रामायण मंदिर में ही देखने को मिलेंगे। विराट रामायण मंदिर की पाइलिंग के लिए करीब 1050 टन स्टील और 15 हजार क्यूबिक मीटर कंक्रीट की आवश्यकता होगी। निर्माण में इस्तेमाल होने वाली सामग्री महावीर मंदिर न्यास समिति द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है। निर्माण एजेंसी बिना किसी अग्रिम भुगतान के कार्य कर रही है और कार्य की प्रगति के आधार पर भुगतान किया जाएगा।

यह विराट रामायण मंदिर पटना से लगभग 120 किलोमीटर और वैशाली से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर केसरिया-चकिया पथ पर स्थित है। यह मंदिर चार गांवों और तीन पंचायतों की सीमा में फैला हुआ है।

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