Edited By Radhika,Updated: 26 Sep, 2025 07:46 PM

Supreme Court ने मां- बाप के हक में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने लैंडमार्क जजमेंट सुनाते हुए बुजुर्ग पिता को उनकी पैतृक संपत्ति पर मालिकाना हक दिलाया और बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए बेटे को संपत्ति खाली करने का आदेश दिया।
नेशनल डेस्क: Supreme Court ने मां- बाप के हक में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने लैंडमार्क जजमेंट सुनाते हुए बुजुर्ग पिता को उनकी पैतृक संपत्ति पर मालिकाना हक दिलाया और बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए बेटे को संपत्ति खाली करने का आदेश दिया।
केस का इतिहास-
इस मामले में 80 वर्षीय पिता की शिकायत थी कि उनके बेटे ने पैतृक संपत्ति पर कब्जा कर लिया और उन्हें संपत्ति में प्रवेश की अनुमति नहीं दी। पिता ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और बेटे के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने पिता को उनके मालिकाना हक का अधिकार दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मां-बाप की जायदाद से बच्चे कभी भी अपने माता-पिता को बेदखल नहीं कर सकते। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बेटे को पिता की संपत्ति खाली करने का आदेश भी जारी किया।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण आदेश में स्पष्ट किया है कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक अपनी संपत्ति से अपने बच्चों को कभी भी बेदखल कर सकते हैं। कोर्ट ने Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007 के तहत गठित ट्रिब्यूनल को यह अधिकार दिया है कि वे उन बच्चों को संपत्ति से बेदखल करने का आदेश दे सकते हैं जो अपने माता-पिता की देखभाल करने से इंकार करते हैं या उनकी जिम्मेदारी निभाने में असफल रहते हैं।