इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, ईसाई बनते ही खत्म हो अनुसूचित जाति से जुड़ी सुविधाएं

Edited By Updated: 03 Dec, 2025 01:42 PM

allahabad high court sc status after conversion up order

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला दिया है कि ईसाई धर्म अपनाने के बाद अनुसूचित जाति का दर्जा बनाए रखना संविधान के साथ धोखाधड़ी है। कोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश दिया कि धर्मांतरण के बाद SC से जुड़ी सभी सुविधाएं तुरंत समाप्त की जाएं। जिलाधिकारियों को ऐसे...

नेशनल डेस्क : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने धर्मांतरण और अनुसूचित जाति (SC) दर्जे से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मंगलवार को दिए गए अपने निर्णय में यह स्पष्ट किया कि धर्म परिवर्तन के बाद अनुसूचित जाति का दर्जा बनाए रखना संविधान की मंशा के साथ धोखाधड़ी के समान है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि जिन लोग ईसाई धर्म अपना चुके हैं, उन्हें किसी भी प्रकार का अनुसूचित जाति से जुड़ा लाभ नहीं मिलना चाहिए। ईसाई धर्म में परिवर्तन करते ही SC श्रेणी से संबंधित सभी सुविधाएं स्वतः समाप्त हो जानी चाहिए।

प्रशासन को सख्त निर्देश
हाई कोर्ट ने राज्य के प्रशासनिक तंत्र को आदेश दिया कि वह सुनिश्चित करे कि ईसाई धर्म अपनाने वाले लोग अनुसूचित जाति के फायदे प्राप्त करना जारी न रखें। इसके साथ ही अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश दिया गया कि अल्पसंख्यक दर्जे और अनुसूचित जाति के दर्जे के बीच अंतर को सख्ती से लागू किया जाए और इस संबंध में आवश्यक कदम तुरंत उठाए जाएं।

चार महीने में कार्रवाई का आदेश
कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया कि वे ऐसे मामलों की पहचान करें और कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करें। इसके लिए चार महीने की समयसीमा भी निर्धारित की गई है। यह निर्णय जस्टिस प्रवीण कुमार गिरि ने जितेंद्र साहनी नामक व्यक्ति की याचिका खारिज करते हुए सुनाया।

याचिका में क्या था मामला?
जितेंद्र साहनी ने अपने खिलाफ एसीजेएम कोर्ट में चल रही आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग की थी। उन पर हिंदू देवी-देवताओं का मज़ाक उड़ाने और समाज में वैमनस्य फैलाने के आरोप लगे हैं। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि वह सिर्फ अपने निजी भूखंड पर ईसा मसीह के उपदेशों का प्रचार कर रहे थे और इसी आधार पर उसे झूठा फंसाया गया है। इसलिए चार्जशीट रद्द की जानी चाहिए।

हलफनामे में खुलासा
21 नवंबर को हुई सुनवाई में कोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा दाखिल हलफनामे पर ध्यान दिया। हलफनामे में साहनी ने अपना धर्म "हिंदू" लिखा था, जबकि वह पहले ही धर्मांतरण कर ईसाई बन चुके थे। कोर्ट को यह बताया गया कि धर्म परिवर्तन से पहले याचिकाकर्ता अनुसूचित जाति समुदाय से संबंधित था, लेकिन हलफनामे में उसने अपना धर्म हिंदू लिखा था। इस तथ्य ने कोर्ट का ध्यान खींचा और इसी आधार पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया।

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