निठारी कांड में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: सुरेंद्र कोली को मिली रिहाई, सभी सजा और केस रद्द

Edited By Updated: 11 Nov, 2025 01:31 PM

supreme court s major decision in nithari case surendra koli released

निठारी हत्याकांड मामले में सालों से जेल में बंद आरोपी सुरेंद्र कोली को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। देश की सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को कोली को सभी आरोपों से बरी करते हुए उसकी उम्रकैद की सजा को रद्द कर दिया। अब उसकी रिहाई का रास्ता...

नेशनल डेस्क: निठारी हत्याकांड मामले में सालों से जेल में बंद आरोपी सुरेंद्र कोली को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। देश की सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को कोली को सभी आरोपों से बरी करते हुए उसकी उम्रकैद की सजा को रद्द कर दिया। अब उसकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया है।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ नहीं बल्कि इस मामले में सीजेआई बी.आर. गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की तीन सदस्यीय बेंच ने सुनवाई की। बेंच ने कहा — जब आरोपी बाकी 12 मामलों में बरी हो चुका है, तो एकमात्र केस में दोषी ठहराया जाना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। यह न्याय का उपहास होगा। जस्टिस विक्रम नाथ ने फैसला सुनाते हुए कहा — 2011 के पुनर्विचार आदेश को रद्द किया जाता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला भी रद्द किया जाता है। याचिकाकर्ता को सभी आरोपों से बरी किया जाता है और उसकी सभी सजाएं समाप्त की जाती हैं। उसे तुरंत रिहा किया जाए।

क्या था मामला?
➤ नोएडा के निठारी गांव में 2005 से 2007 के बीच हुए इस भयानक हत्याकांड ने पूरे देश को दहला दिया था।
➤ इसमें दर्जनों बच्चों और महिलाओं के गायब होने, बलात्कार और हत्या की घटनाएं सामने आई थीं।
➤ सीबीआई जांच में सुरेंद्र कोली, जो उस समय मुख्य आरोपी मोनींद्र पांडे उर्फ मोनिंदर सिंह पंढेर का नौकर था, को आरोपी बनाया गया था।
➤ कोली पर 13 मामलों में आरोप लगे थे, जिनमें से 12 में वह पहले ही बरी हो चुका था।
➤ सिर्फ एक मामले में उसे उम्रकैद की सजा मिली थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अब क्यूरेटिव पिटीशन पर सुनवाई करते हुए राहत दी है।


कोर्ट में हुई क्या दलीलें?
सुनवाई के दौरान जजों ने केस के साक्ष्यों पर गंभीर सवाल उठाए। CJI बी.आर. गवई ने कहा — यह मामला ऐसा नहीं है जिसमें दोष सिद्धि बनी रहे। आरोपी को बाकी मामलों में बरी किया गया है, फिर एक ही केस में उसे सजा देना विरोधाभासी है। जस्टिस विक्रम नाथ ने भी सबूतों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए कहा- सिर्फ आरोपी के बयान और रसोई के चाकू की बरामदगी के आधार पर हत्या जैसे गंभीर अपराध का दोष सिद्ध नहीं किया जा सकता। क्या रसोई के चाकू से हड्डियाँ काटी जा सकती हैं?

कोली की अपीलों का सफर
➤ 2011: सुप्रीम कोर्ट ने एक केस में कोली की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा।
➤ 2014: उसकी पुनर्विचार याचिका खारिज हुई।
➤ 2024 (अक्टूबर): कोली ने क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल कर अंतिम राहत मांगी।
➤ 2025 (नवंबर): सुप्रीम कोर्ट ने 2011 के फैसले को रद्द करते हुए उसे बरी कर दिया।


अब क्या होगा?
➤ सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जेल प्रशासन को सुरेंद्र कोली की तत्काल रिहाई करनी होगी।
➤ इस फैसले के साथ ही निठारी हत्याकांड के सभी मामलों में कोली बरी हो चुका है।
➤ इस ऐतिहासिक फैसले ने एक बार फिर न्यायिक प्रक्रिया, साक्ष्यों की गुणवत्ता और जांच एजेंसियों की भूमिका पर बहस छेड़ दी है।

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