इथेनॉल मिक्स पेट्रोल खरीदने को लेकर वाहन मालिक परेशान, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला; कल होगी सुनवाई

Edited By Updated: 31 Aug, 2025 04:36 PM

supreme court to hear case on ethanol blended petrol mandate

सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसमें 20% इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP-20) को देशभर में लागू करने को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि वाहन मालिकों को ऐसा ईंधन खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है जो उनके वाहनों के लिए सही नहीं है।...

नेशनल डेस्क: देशभर में पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिलाने की योजना अब विवादों में घिर गई है। सुप्रीम कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका के जरिए यह मुद्दा अब देश की सबसे बड़ी अदालत तक पहुंच गया है। इस याचिका पर सुनवाई 1 सितंबर को प्रधान न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ करेगी। वकील अक्षय मल्होत्रा द्वारा दायर इस याचिका में कहा गया है कि देश के लाखों वाहन मालिकों को ऐसा पेट्रोल खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है जो उनके वाहनों के अनुकूल नहीं है। याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार की "इथेनॉल ब्लेंडिंग" योजना से उपभोक्ताओं को नुकसान हो सकता है क्योंकि हर वाहन इथेनॉल मिलाए गए पेट्रोल को झेलने में सक्षम नहीं होता।

क्या है इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP-20)?

इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल यानी EBP-20 वह पेट्रोल है जिसमें 20% तक इथेनॉल मिलाया जाता है। इसका उद्देश्य तेल के आयात पर निर्भरता कम करना और पर्यावरण को कुछ हद तक सुरक्षित बनाना है। लेकिन कई विशेषज्ञों और वाहन मालिकों का कहना है कि पुरानी गाड़ियों के इंजन इसके लिए डिजाइन नहीं किए गए हैं जिससे इंजन खराब हो सकता है या वाहन की माइलेज पर असर पड़ सकता है।

याचिका में की गई मुख्य मांगें

इस जनहित याचिका में सरकार से खास तौर पर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय को अपील की गई है कि वे सभी पेट्रोल पंपों पर इथेनॉल मुक्त पेट्रोल का विकल्प उपलब्ध कराएं, ताकि वे लोग जो इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल अपने वाहनों के लिए सही नहीं मानते या जिनके वाहन इसके अनुकूल नहीं हैं, उन्हें दूसरा विकल्प मिल सके। साथ ही याचिका में यह भी मांग की गई है कि सभी पेट्रोल पंपों और वितरण केंद्रों पर पेट्रोल में मिलाए गए इथेनॉल की मात्रा स्पष्ट रूप से दिखाने वाला लेबल अनिवार्य किया जाए, जिससे उपभोक्ताओं को ईंधन की सही जानकारी मिल सके। इसके अतिरिक्त, उपभोक्ताओं को उनके वाहनों की इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के लिए अनुकूलता के बारे में भी पूरी जानकारी दी जानी चाहिए ताकि वे समझदारी से अपना चुनाव कर सकें और किसी भी तरह की दिक्कत से बच सकें।

उपभोक्ताओं की चिंता क्या है?

कई वाहन मालिकों का मानना है कि उन्हें जबरन ऐसा ईंधन खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है जो उनके वाहन की तकनीकी क्षमताओं के अनुकूल नहीं है। खासकर पुराने मॉडल की गाड़ियों के लिए यह बड़ा खतरा बन सकता है। न केवल इंजन की कार्यक्षमता पर असर पड़ सकता है बल्कि दीर्घकालिक रूप से गाड़ी के मेंटेनेंस की लागत भी बढ़ सकती है।

सरकार का नजरिया क्या है?

सरकार का कहना है कि इथेनॉल मिश्रण से देश की तेल पर निर्भरता कम होगी, विदेशी मुद्रा बचेगी और किसानों को भी फायदा मिलेगा क्योंकि इथेनॉल मुख्य रूप से गन्ना और मक्का जैसी फसलों से तैयार किया जाता है। इससे पर्यावरण को भी लाभ होगा क्योंकि इथेनॉल प्रदूषण कम करता है।
इस याचिका की सुनवाई सोमवार, 1 सितंबर को होनी है। सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि क्या सरकार की यह योजना उपभोक्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन कर रही है या फिर यह एक जरूरी पर्यावरणीय और आर्थिक सुधार है। कोर्ट का फैसला इस बात पर असर डालेगा कि आगे देशभर में पेट्रोल की बिक्री किस रूप में होगी।

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