Edited By Radhika,Updated: 27 Dec, 2025 01:06 PM

Kidney हमारे शरीर का एक ऐसा हिस्सा है जो शरीर में एक फिल्टर की तरह काम करचा है। इसका मुख्य काम खून को साफ करना और शरीर के कचरे को पेशाब के जरिए बाहर निकालना है। लेकिन नेफ्रोटिक सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जिसमें किडनी की ये छलनी खराब हो जाती है या...
Kidney damage in kids: Kidney हमारे शरीर का एक ऐसा हिस्सा है जो शरीर में एक फिल्टर की तरह काम करचा है। इसका मुख्य काम खून को साफ करना और शरीर के कचरे को पेशाब के जरिए बाहर निकालना है। लेकिन नेफ्रोटिक सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जिसमें किडनी की ये छलनी खराब हो जाती है या उसमें 'बड़े छेद' हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में प्रोटीन शरीर में जाने की बजाय पेशाब के रास्ते बाहर निकलने लगता है। जब शरीर से बहुत ज्यादा प्रोटीन निकल जाता है, तो शरीर में पानी जमा होने लगता है, जिससे चेहरे, आंखों और पैरों में सूजन आ जाती है। यह समस्या खासकर 2 से 7 साल के बच्चों में ज्यादा देखी जाती है। अगर समय पर पहचान हो जाए, तो दवाओं से इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है।
इसके चलते अहमदाबाद के प्रसिद्ध चाइल्ड स्पेशलिस्ट ने हाल ही में एक 6 साल के बच्चे का उदाहरण साझा करते हुए माता-पिता को आगाह किया है। उन्होंने बताया कि अगर समय रहते इसके लक्षणों को पहचान लिया जाए तो बच्चे को भविष्य की बड़ी परेशानियों से बचाया जा सकता है।

इन 5 संकेतों को कभी न करें नजरअंदाज
डॉक्टरों के अनुसार नेफ्रोटिक सिंड्रोम के शुरुआती लक्षण बहुत ही सामान्य दिख सकते हैं, लेकिन ये गंभीर संकेत हैं:
1. आँखों की सूजन: सुबह उठते ही बच्चे की आँखों के आसपास सूजन दिखना (जो दिन चढ़ने के साथ कम हो जाती है)।
2. पेशाब में बदलाव: पेशाब का कम होना या उसमें असामान्य रूप से झाग (Foam) आना।
3. शरीर में फुलाव: पैरों, टखनों और पेट के हिस्से में सूजन आना।
4. अचानक वजन बढ़ना: शरीर में पानी जमा होने के कारण बच्चे का वजन तेजी से बढ़ना।
5. सुस्ती: बच्चा हर समय थकान और कमजोरी महसूस करता है।
क्यों होता है यह रोग?
ज्यादातर मामलों में इसे इडियोपैथिक (अज्ञात कारण) माना जाता है। बच्चों में इसका सबसे आम रूप 'मिनिमल चेंज डिजीज' है। इसमें किडनी बाहर से नॉर्मल दिखती है लेकिन फिल्टर ठीक से काम नहीं कर रहे होते। यह समस्या लड़कों में लड़कियों के मुकाबले थोड़ी ज्यादा देखी गई है।
बचाव और इलाज की राह
विशेषज्ञों का कहना है कि सही समय पर इलाज मिलने से बच्चा पूरी तरह ठीक हो सकता है। इलाज में मुख्य रूप से स्टेरॉयड दवाओं का उपयोग किया जाता है। साथ ही, डाइट में नमक की मात्रा कम रखने और संक्रमण (Infection) से बच्चे को दूर रखने की सलाह दी जाती है। यदि सूजन तेजी से बढ़े या बच्चा बहुत सुस्त दिखे, तो तुरंत पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए।