Edited By Parveen Kumar,Updated: 03 Dec, 2025 08:29 PM

गुजरात के वलसाड जिले के वापी इंडस्ट्रियल एरिया के पास स्थित आमधा गांव में रविवार दोपहर एक ऐसी घटना हुई, जिसे देखकर लोग दंग रह गए। बिजली के करंट से बेहोश पड़े एक धामिन सांप को वन्यजीव रेस्क्यूकर्ता मुकेश बायड ने मुंह से मुंह सांस देकर पूरी तरह जीवित...
नेशनल डेस्क: गुजरात के वलसाड जिले के वापी इंडस्ट्रियल एरिया के पास स्थित आमधा गांव में रविवार दोपहर एक ऐसी घटना हुई, जिसे देखकर लोग दंग रह गए। बिजली के करंट से बेहोश पड़े एक धामिन सांप को वन्यजीव रेस्क्यूकर्ता मुकेश बायड ने मुंह से मुंह सांस देकर पूरी तरह जीवित कर दिया। लगभग 25 मिनट की लगातार कोशिश के बाद सांप ने फिर से सांस लेना शुरू किया और पूरी तरह स्वस्थ होकर जंगल की ओर लौट गया। यह पूरा दृश्य वीडियो में कैद है और सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है।
करंट से बेहोश हुआ 7 फीट लंबा धामिन
मुकेश बायड, जो वलसाड स्थित वाइल्ड रेस्क्यू ट्रस्ट के सक्रिय सदस्य हैं, को दोपहर करीब 2 बजे सूचना मिली कि एक खेत में बिजली की तार की चपेट में आने से बड़ा सांप निर्जीव पड़ा है। मौके पर पहुंचकर उन्होंने देखा कि लगभग 7 फीट लंबा धामिन सांप बिल्कुल बेजान था- न सांस, न हरकत, शरीर भी ठंडा पड़ चुका था।
मुंह से मुंह सांस देकर दी 25 मिनट तक CPR
मुकेश ने बताया कि उन्होंने पहले सांप को छाया में लिटाकर पानी छिड़का। हल्की-सी दिल की धड़कन महसूस होते ही उन्होंने तुरंत CPR की प्रक्रिया शुरू कर दी। लगातार 25 मिनट तक मुंह से मुंह सांस देने के बाद सांप में हलचल होने लगी। उसने धीरे-धीरे आंखें खोलीं और कुछ ही देर में सामान्य रूप से फन उठाकर रेंगने लगा।
वीडियो वायरल- मुकेश की हिम्मत और दया की चर्चा
पूरा रेस्क्यू मोबाइल में रिकॉर्ड किया गया, जिसमें मुकेश बिना किसी डर के सांप के मुंह में अपना मुंह लगाते दिख रहे हैं। वीडियो वायरल होने के बाद लोग सोशल मीडिया पर उनकी तारीफों के पुल बांध रहे हैं-
‘यह असली जीवदया है’, ‘इंसानियत जिंदा है’, ‘मुकेश भाई को सलाम’ जैसे कमेंट लगातार देखे जा रहे हैं।
8 हजार से ज्यादा रेस्क्यू- एक मिसाल बन गया यह प्रयास
विशेषज्ञों का कहना है कि करंट के कारण सांप की सांसें थम गई थीं, लेकिन मुकेश की त्वरित CPR ने उसकी जान बचा ली। वाइल्ड रेस्क्यू ट्रस्ट वर्षों से वन्यजीवों को बचाने का काम कर रहा है और मुकेश अब तक 8,000 से अधिक सांपों को रेस्क्यू कर चुके हैं। यह घटना वन्यजीवों के प्रति संवेदना और बहादुरी की दुर्लभ मिसाल बन गई है।