UP में क्यों बदले गए 8 रेलवे स्टेशनों के नाम, जानिए किसके पास होता है नाम बदलने का अधिकार

Edited By Utsav Singh,Updated: 28 Aug, 2024 02:13 PM

why were the names of 8 railway stations changed in up

उत्तर प्रदेश में मंगलवार को उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल के आठ रेलवे स्टेशनों के नाम बदल दिए है। इन स्टेशनों के नाम अब संतों और स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर रखे गए हैं। नई नामकरण सूची में इन स्टेशनों के नाम बदलकर उन महान व्यक्तित्वों के नाम पर रखा गया...

नेशनल डेस्क : उत्तर प्रदेश में मंगलवार को उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल के आठ रेलवे स्टेशनों के नाम बदल दिए है। इन स्टेशनों के नाम अब संतों और स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर रखे गए हैं। नई नामकरण सूची में इन स्टेशनों के नाम बदलकर उन महान व्यक्तित्वों के नाम पर रखा गया है जिन्होंने समाज और देश के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह परिवर्तन स्थानीय लोगों और यात्रियों के लिए एक सम्मानजनक पहल मानी जा रही है, जो इतिहास और संस्कृति की समृद्धि को दर्शाता है।

लखनऊ डिवीजन के 8 रेलवे स्टेशनों के नाम बदले गए 
आपको बता दें कि नॉर्दर्न रेलवे ने लखनऊ डिवीजन के आठ रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने की घोषणा मंगलवार को की थी। इसमें जायस स्टेशन, अकबरगंज स्टेशन, फुरसतगंज रेलवे स्टेशन, वारिसगंज हाल्ट स्टेशन, निहालगढ़ स्टेशन, बनी रेलवे स्टेशन, मिसरौली स्टेशन, और कासिमपुर हॉल्ट स्टेशन शामिल हैं। नॉर्दर्न रेलवे के डिप्टी कमर्शियल मैनेजर हरी ओम के अनुसार, कासिमपुर हॉल्ट स्टेशन का नया नाम "जायस सिटी" रखा गया है। इसी तरह, जायस रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर "गुरु गोरखनाथ धाम" किया गया है। मिसरौली स्टेशन को अब "मां कालिकन धाम" के नाम से जाना जाएगा।

वहीं बनी रेलवे स्टेशन का नया नाम "स्वामी परमहंस स्टेशन" होगा, जबकि निहालगढ़ स्टेशन को "महाराजा बिजली पासी" के नाम से पुकारा जाएगा। अकबरगंज स्टेशन का नाम बदलकर "मां अहोरवा भवानी धाम" रखा गया है। वारिसगंज हाल्ट स्टेशन का नया नाम "अमर शहीद भाले सुल्तान" होगा, और फुरसतगंज रेलवे स्टेशन को अब "तपेश्वर धाम" के नाम से जाना जाएगा।

आइए जानते हैं इन नए स्टेशनों के बारे में थोड़ा विस्तार से...

1. मिशरौली स्टेशन का नाम अब "मां कालिकन धाम" शक्तिपीठ के नाम पर रखा गया है, जो अमेठी के संग्रामपुर ब्लॉक में स्थित है। यह स्थल च्यवन मुनि की तपोस्थली के रूप में प्रसिद्ध है।
2.जायस रेलवे स्टेशन का नाम अब "गुरु गोरखनाथ" के नाम पर रखा गया है। गुरु गोरखनाथ नाथ संप्रदाय के पहले योगी थे और इस संप्रदाय से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संबंधित हैं।
3.बनी रेलवे स्टेशन का नाम "स्वामी परमहंस" के नाम पर रखा गया है। स्वामी रामकृष्ण परमहंस एक महान संत, आध्यात्मिक गुरु और विचारक थे, जिन्होंने अपने शिक्षाओं और दर्शन से समाज को प्रेरित किया।
4.अमेठी के निहालगढ़ स्टेशन का नाम "महाराजा बिजली पासी" के नाम पर रखा गया है। महाराजा बिजली पासी पासी समुदाय के राजा थे और वे पृथ्वीराज चौहान और जयचंद के समकालीन थे, जिन्होंने अपने समय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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5.अमेठी जिले में स्थित फुरसतगंज रेलवे स्टेशन का नाम अब "तपेश्वर धाम" रखा जाएगा। तपेश्वर धाम अमेठी के बहादुरपुर में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर है।
6.कासिमपुर हॉल्ट स्टेशन का नया नाम "जायस सिटी" होगा। उल्लेखनीय है कि मलिक मोहम्मद जायसी, जो जायस के निवासी थे, ने "पद्मावत" की रचना की थी।
7.रायबरेली जिले के अकबरगंज स्टेशन का नाम अब "मां अहोरवा भवानी धाम" रखा गया है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां स्थापित देवी की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है, जो इसे विशेष धार्मिक महत्व प्रदान करता है।
8.वारिसगंज हाल्ट स्टेशन का नाम "शहीद भाले सुल्तान" के नाम पर रखा गया है। भाले सुल्तान ने 1857-58 के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की बलि दी थी। इतिहासकारों के अनुसार, भाले सुल्तान ने इस संघर्ष में अपनी जान की कुर्बानी दी, जिससे उनकी शहादत को सम्मानित करने के लिए उनके नाम पर यह स्टेशन रखा गया है।

किसके पास होता है नाम बदलने का अधिकार 
रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने का अधिकार रेलवे बोर्ड के पास नहीं होता है। दरअसल, स्टेशन के नाम बदलने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया जाता है। राज्य सरकार यह तय करती है कि किस स्टेशन का नाम बदला जाएगा और नए नाम का चयन करती है। नई नामकरण की प्रक्रिया के बाद, राज्य सरकार इस प्रस्ताव को गृह मंत्रालय और नोडल मंत्रालय के पास भेजती है। मंत्रालयों द्वारा इस अनुरोध पर विचार और मंजूरी मिलने के बाद, नाम परिवर्तन की आधिकारिक स्वीकृति प्रदान की जाती है।

इस प्रक्रिया के दौरान यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि नया नाम किसी अन्य मौजूदा रेलवे स्टेशन के नाम से मेल न खाता हो। इस तरह, नाम परिवर्तन के बाद किसी प्रकार की भ्रम की स्थिति न उत्पन्न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाता है।

 

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