विवादों में घिरे संत प्रेमानंद महाराज ने तोड़ी चुप्पी, कहा – 'कड़वा सच बुरा लगता है'

Edited By Updated: 04 Aug, 2025 04:33 PM

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महिलाओं को लेकर दिए गए एक विवादित बयान ने संत प्रेमानंद महाराज को जबरदस्त आलोचना के केंद्र में ला खड़ा किया है। सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक लोग उनके बयान की निंदा कर रहे हैं, खासतौर पर महिलाओं ने इसे लेकर तीव्र विरोध जताया है।

नेशनल डेस्क: महिलाओं को लेकर दिए गए एक विवादित बयान ने संत प्रेमानंद महाराज को जबरदस्त आलोचना के केंद्र में ला खड़ा किया है। सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक लोग उनके बयान की निंदा कर रहे हैं, खासतौर पर महिलाओं ने इसे लेकर तीव्र विरोध जताया है।

अब इस विवाद के बीच संत प्रेमानंद महाराज ने खुद अपने बयान पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल के जरिए एक प्रवचन में अपनी बात रखी और आलोचनाओं को जवाब देने की कोशिश की। संत ने कहा कि सच्ची बात अगर किसी को समझाई जाती है तो वह अक्सर बुरी लगती है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि वह बात गलत है।

 नाली का कीड़ा अमृत में रह नहीं सकता  – प्रेमानंद महाराज
संत प्रेमानंद ने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कहा कि आज की पीढ़ी केवल भौतिक सुखों को देख रही है और आध्यात्म से दूर होती जा रही है। उन्होंने अपने बयान को समझाते हुए कहा, नाली का कीड़ा अगर नाली में सुखी है तो उसे अमृतकुंड में डाल दो, उसे अच्छा नहीं लगेगा। इस प्रतीकात्मक टिप्पणी के जरिए उन्होंने इशारा किया कि जिन लोगों की सोच भौतिक स्तर पर सीमित है, उन्हें अध्यात्म और नैतिकता की बात ‘कड़वी’ लग सकती है।

 कड़वा बोलेंगे तो भी सहना पड़ेगा – संत की दो टूक
उन्होंने यह भी कहा कि जब कोई व्यक्ति ग़लत आचरण करता है, तो उसे सुधार की बात बुरी लग सकती है, अगर सही बात को समझाने पर भी कोई बुरा मानता है, तो वह उसकी सोच की समस्या है। हमने अगर कड़वा भी कहा, तो भी तुम्हें सुनना पड़ेगा क्योंकि तुम सुधरने आए हो। 

युवाओं को दी नसीहत: बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड कल्चर से दूर रहो
संत प्रेमानंद ने युवाओं को संबोधित करते हुए स्पष्ट कहा कि आज की पीढ़ी नशा, रिलेशनशिप और भटकाव की ओर तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने कहा, बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड बनाना बंद करो, नशा मत करो और माता-पिता की आज्ञा में रहो। यही तुम्हारा भला करेगा। उन्होंने चेतावनी भी दी कि गलत राह पर चलने से अंततः डिप्रेशन, अपराध और जेल तक की नौबत आ सकती है।

संतों को बोलने से रोकोगे तो कौन बताएगा सही और गलत? 
अपने उपदेश को समाप्त करते हुए उन्होंने कहा कि अगर संतजन भी मौन हो जाएं, तो लोगों को सही और गलत की पहचान कौन कराएगा। अगर संत और शास्त्रों की बातों को ठुकराओगे तो फिर माया में फंसे रह जाओगे। सोचो, समझो और अपने जीवन की दिशा तय करो।”

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