Edited By ,Updated: 26 Feb, 2016 03:44 PM
जब आप परिस्थितियों को संभालना नहीं जानते और हालात बेकाबू होने लगते हैं तो सक्रिय होने का एक ही तरीका रहता है और वह है अपने अंदर गुस्सा पैदा करना।
जब आप परिस्थितियों को संभालना नहीं जानते और हालात बेकाबू होने लगते हैं तो सक्रिय होने का एक ही तरीका रहता है और वह है अपने अंदर गुस्सा पैदा करना। आपका वह गुस्सा चाहे एक इंसान पर उसके बर्ताव की वजह से हो या समाज में बढ़ रही अव्यवस्था और अपराध की वजह से, कोई फर्क नहीं।
जैसे ही आप गुस्से में आते हैं, आधी दुनिया को खत्म कर देना चाहते हैं। यह समस्या का हल नहीं है। यह तो एक असहाय आदमी का हथियार है। जब चीजों को सुधारा जाना चाहिए, हम नहीं सुधारते, सोए रहते हैं। और जब सब बेकाबू हो जाता है तो लगता है कि हम असहाय हैं। तब हमें गुस्से के अलावा कुछ और नहीं सूझता।
याद कीजिए उन पलों को जब आपके पिताजी या माताजी गुस्से में भरकर आप पर चीखते-चिल्लाते थे। तब क्या आप उनकी तारीफ करते थे? नहीं।
आप हमेशा उनका विरोध करते थे। जब आपके ऊपर कोई गुस्सा करता है तो आपको अच्छा नहीं लगता, फिर भी आपको महसूस होता है कि दुनिया की समस्याओं का हल गुस्से से ही निकल सकता है। जब आप क्रोध में होते हैं तब इंसान नहीं रह जाते। मैडिकल आधार पर साबित किया जा चुका है कि अगर आप 5 मिनट के लिए गुस्सा हो जाएं तो आपका खून आपको बता देगा कि आप अपने शरीर में जहर घोल रहे हैं। खुद के शरीर में जहर घोलना क्या अच्छी बात है?
जब आप गुस्से में होते हैं तो आप जागरूक नहीं होते। इस स्थिति में आप तमाम बेवकूफी भरे काम करते हैं। फिर गुस्से में जागने का सवाल कहां होता है। आप गुस्से से बचना चाहते हैं तो आपको पहले जागरूक होना पड़ेगा। जैसे ही आप जागरूक हो जाते हैं, सबको साथ लेकर चलने की काबिलियत आपके अंदर आ जाती है। तब आप खुद ही समस्या का हल बन जाते हैं।