Maa Siddhidatri story : महानवमी पर पढ़ें, मां सिद्धिदात्री की कथा और पूरी करें अपनी हर इच्छा

Edited By Updated: 17 Apr, 2024 09:48 AM

maa siddhidatri story

आज यानि 17 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि का नौवां दिन है और इस दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है।

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Maa Siddhidatri story : आज यानि 17 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि का नौवां दिन है और इस दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। माता दुर्गा का यह स्वरूप सिद्ध और मोक्ष देने वाला है इसलिए माता को मां सिद्धिदात्री कहा जाता है। इनकी पूजा-अर्चना करने से सभी कार्य सिद्ध होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा देव-दानव, ऋषि-मुनि, यक्ष, साधक, किन्नर और गृहस्थ आश्रम में जीवनयापन करने वाले सभी करते हैं। इनकी पूजा अर्चना करने से धन, यश और बल की प्राप्ति होती है।  मां सिद्धिदात्री के स्वरूप की बात करें तो ये चार भुजा धारी हैं। एक हाथ में कमल पुष्प, तो दूजे में गदा धारण की हैं। वहीं, तीसरे में चक्र, तो चौथे में शंख धारण की है। सिंह उनकी सवारी है। मां सिद्धिदात्री समस्त संसार का कल्याण करती हैं। इसके लिए उन्हें जगत जननी भी कहते हैं। ग्रंथो, वेदों, पुराणों एवं शास्त्रों में मां की महिमा का वर्णन निहित है।

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मार्कण्डेय पुराण में मां की महिमा का गुणगान विशेषकर है। मार्कण्डेय पुराण में मां को अष्ट सिद्धि भी कहा गया है। इसका अर्थ यह है कि मां अणिमा, महिमा, प्राकाम्य गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, ईशित्व और वशित्व अष्ट सिद्धि की संपूर्ण स्वरूपा हैं। अगर आप भी मां सिद्धिदात्री की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो आज विधि पूर्वक मां सिद्धिदात्री की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय व्रत कथा का पाठ अवश्य करें या कथा को सुनें। इस व्रत कथा को सुनने मात्र से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। सिद्धिदात्री माता की पूजन विधि और व्रत कथा क्या है, तो आईए जानते हैं-

आईए सबसे पहले सुनते हैं मां सिद्धिदात्री की व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या कर आठों सिद्धियों को प्राप्त किया था। मां सिद्धिदात्री की अनुकंपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी हो गया था और वह अर्धनारीश्वर कहलाएं। मां दुर्गा के नौ रूपों में यह रूप अत्यंत ही शक्तिशाली रूप है। कहा जाता है कि, मां दुर्गा का यह रूप सभी देवी-देवताओं के तेज से प्रकट हुआ है।

कथा में वर्णन है कि जब दैत्य महिषासुर के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवतागण भगवान शिव और भगवान विष्णु के पास पहुंचे। तब वहां मौजूद सभी देवतागण से एक तेज उत्पन्न हुआ और उसी तेज से एक दिव्य शक्ति का निर्माण हुआ, जिसे मां सिद्धिदात्री कहा जाता है।

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मां की नौवीं नवरात्रि पर मां सिद्धिदात्री की पूजा कैसे करें-
नौंवी नवरात्रि की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।

मां को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां को सफेद रंग पसंद है।

मां को स्नान कराने के बाद सफेद पुष्प अर्पित करें।

मां को रोली कुमकुम लगाएं।

मां को मिष्ठान, पंच मेवा और फल अर्पित करें।

माता सिद्धिदात्री को प्रसाद, नवरस युक्त भोजन, नौ प्रकार के पुष्प और नौ प्रकार के ही फल अर्पित करने चाहिए।

मां सिद्धिदात्री को मौसमी फल, चना, पूड़ी, खीर, नारियल और हलवा अतिप्रिय है। कहते हैं कि मां को इन चीजों का भोग लगाने से वह प्रसन्न होती हैं।

इस दिन माता सिद्धिदात्री का अधिक से अधिक ध्यान करें। मां की आरती भी करें।

नवमी के दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन कन्या पूजन भी करें।

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