Edited By PTI News Agency,Updated: 17 May, 2021 06:45 PM

नयी दिल्ली, 17 मई (भाषा) ईरान सरकार के एक स्थानीय कंपनी के पक्ष में निर्णय करने से भारत फारस की खाड़ी में फरजाद- बी गैस क्षेत्र परियोजना से बाहार हो गया है। इस गैस-फील्ड की खोज भारतीय कंपनी ओएनजीसी विदेश लिमिटेड ने की थी ।
नयी दिल्ली, 17 मई (भाषा) ईरान सरकार के एक स्थानीय कंपनी के पक्ष में निर्णय करने से भारत फारस की खाड़ी में फरजाद- बी गैस क्षेत्र परियोजना से बाहार हो गया है। इस गैस-फील्ड की खोज भारतीय कंपनी ओएनजीसी विदेश लिमिटेड ने की थी ।
ईरान ने इस गैस क्षेत्र को विकसित करने का काम सोमवार को एक स्थानीय कंपनी को दे दिया।
ईरान के पेट्रोलियम मंत्रालय की आधिकारिक समाचार सेवा शाना ने सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘दि नेशनल ईरानियन आयल कंपनी (एनआईओसी) ने फारस की खाड़ी की फरजाद-बी गैस फील्ड के विकास के लिये पेट्रोपार्स ग्रुप के साथ 1.78 अरब डालर का करार किया।
एजेंसी के मुताबिक समझौते पर तेहरान में सोमवार 17 मई को हस्ताक्षर किये गये। इस मौके पर ईरान के पेट्रोलियम मंत्री बिजान जांगनेह भी उपस्थित थे।
फरजाद-बी फील्ड में 23,000 अरब घनफुट गैस का भंडार होने का अनुमान है जिसमें से 60 प्रतिशत गैस निकाली जा सकती है। इस क्षेत्र में 5,000 बैरल प्रति अरब घनफुट तरल प्राकृतिक गैस का भी भंडार है।
साना एजेंसी ने कहा कि सोमवार को जिस बायबैक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये गये उसके तहत पांच साल के दौरान क्षेत्र में रोजाना 2.80 करोड़ घन मीटर गैस का उत्पादन किया जायेगा।
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ओएनजीसी विदेश की विदेशों में तेल एवं गैस खोज एवं उत्पादन कार्य करने वाली इकाई ओएनजीसी विदेश ने 2008 में फारस खाड़ी स्थित अपतटीय ब्लाक में एक बड़े गैस क्षेत्र की खोज की थी। इस खोज को आगे विकसित करने के लिये ओएनजीसी विदेश और उसकी भागीदार कंपनियों ने 11 अरब डालर के निवेश की पेशकश की थी। इसी खोज का नाम बाद में फरजाद-बी रखा गया।
पीटीआई-भाषा ने इससे पहले 18 अक्टूबर 2020 को खबर दी थी कि ईरान की सरकारी कंपनी एनआईओसी ने ओवीएल को पहले ही फरजाद-बी क्षेत्र के विकास के लिये किसी ईरानी कंपनी को अनुबंधित करने की अपनी मंशा से सूचित कर दिया था।
उसके बाद से ही वह ओएनजीसी विदेश के निवेश प्रस्ताव पर सालों तक चुपचाप बैठी रही।
ओएनजीसी विदेश ने इस ब्लाक के लिये 25 दिसंबर 2002 में खोज सेवा कार्य का ठेका किया था। उसकी इसमें 40 प्रतिशत हिस्सेदारी थी जबकि शेष 40 प्रतिशत इंडियन आयल और 20 प्रतिशत आयल इंडिया के पास थी।
ओएनजीसी विदेश ने ब्लॉक में गेस की खोज की जिसे एनआईओसी ने 18 अगसत 2008 में वाणिज्यिक तौर पर उपयुक्त घोषित कर दिया था। इसके बाद क्षेत्र का खोज का चरण 24 जून 2009 को समाप्त हो गया था।
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