बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 445 परियोजनाओं की लागत 4.4 लाख करोड़ रुपये बढ़ी

Edited By PTI News Agency,Updated: 23 Jan, 2022 02:37 PM

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नयी दिल्ली, 23 जनवरी (भाषा) बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक के खर्च वाली 445 परियोजनाओं की लागत में तय अनुमान से 4.4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। देरी और अन्य कारणों...

नयी दिल्ली, 23 जनवरी (भाषा) बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक के खर्च वाली 445 परियोजनाओं की लागत में तय अनुमान से 4.4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। देरी और अन्य कारणों की वजह से इन परियोजनाओं की लागत बढ़ी है।
सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक लागत वाली बुनियादी ढांचा क्षेत्र की परियोजनाओं की निगरानी करता है।
मंत्रालय की दिसंबर, 2021 की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की 1,673 परियोजनाओं में से 445 की लागत बढ़ी है, जबकि 557 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘इन 1,673 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल गत 22,23,791.78 करोड़ रुपये थी, जिसके बढ़कर 26,64,649.18 करोड़ रुपये पर पहुंच जाने का अनुमान है। इससे पता चलता है कि इन परियोजनाओं की लागत 19.82 प्रतिशत या 4,40,857.40 करोड़ रुपये बढ़ी है।’’ रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर, 2021 तक इन परियोजनाओं पर 13,08,766.65 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जो कुल अनुमानित लागत का 49.12 प्रतिशत है। हालांकि, मंत्रालय का कहना है कि यदि परियोजनाओं के पूरा होने की हालिया समयसीमा के हिसाब से देखें, तो देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या कम होकर 420 पर आ जाएगी। रिपोर्ट में 838 परियोजनाओं के चालू होने के साल के बारे में जानकारी नहीं दी गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी से चल रही 557 परियोजनाओं में 97 परियोजनाएं एक महीने से 12 महीने की, 127 परियोजनाएं 13 से 24 महीने की, 217 परियोजनाएं 25 से 60 महीने की और 116 परियोजनाएं 61 महीने या अधिक की देरी में चल रही हैं। इन 557 परियोजनाओं की देरी का औसत 45.69 महीने है।
इन परियोजनाओं की देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण और वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी और बुनियादी संरचना की कमी प्रमुख हैं। इनके अलावा परियोजना का वित्तपोषण, विस्तृत अभियांत्रिकी को मूर्त रूप दिये जाने में विलंब, परियोजनाओं की संभावनाओं में बदलाव, निविदा प्रक्रिया में देरी, ठेके देने व उपकरण मंगाने में देरी, कानूनी व अन्य दिक्कतें, अप्रत्याशित भू-परिवर्तन आदि जैसे कारक भी देरी के लिए जिम्मेदार हैं।



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