नुकसान झेल रहे दिल्ली के व्यापारियों ने सप्ताहांत कर्फ्यू, सम-विषम योजना की आलोचना की

Edited By Updated: 23 Jan, 2022 08:33 PM

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नयी दिल्ली, 23 जनवरी (भाषा) सप्ताहांत कर्फ्यू और सम-विषम नियम ने दिल्ली के व्यवसायियों का व्यापार काफी प्रभावित हुआ है।

नयी दिल्ली, 23 जनवरी (भाषा) सप्ताहांत कर्फ्यू और सम-विषम नियम ने दिल्ली के व्यवसायियों का व्यापार काफी प्रभावित हुआ है।

कुछ व्यापारियों ने पीटीआई-भाषा से कहा कि बढ़ते खर्चों को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने आभूषणों को गिरवी रखने पर भी विचार किया और भोजन पर होने वाले खर्च तक में कटौती की।

पुरानी दिल्ली के खारी बावली इलाके में एक किराना दुकान के मालिक ललित ने कहा कि सम-विषम नियम ने उन्हें विशेष रूप से प्रभावित किया है क्योंकि अधिकांश ग्राहकों को यह नहीं पता होगा कि दुकान किस दिन खुलेगी।

ललित ने कहा, ‘‘कोई व्यवापार नहीं है। हमें 100 प्रतिशत नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। हमारा थोक बाजार है और ग्राहक यहां थोक में खरीदारी करने आते हैं लेकिन वे सम-विषम नियम के कारण इससे परहेज कर रह रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें नहीं पता होगा कि कौन सी दुकान किस दिन खुली है। सप्ताहांत कर्फ्यू से ज्यादा दुकानें खोलने का सम-विषम नियम नुकसान के लिए जिम्मेदार रहा है।’’
कारोबारियों ने दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल से पाबंदियां हटाने पर विचार करने का आग्रह किया है।

21 जनवरी को दिल्ली सरकार ने दिल्ली के उपराज्यपाल को सप्ताहांत कर्फ्यू और सम-विषम व्यवस्था को वापस लेने का प्रस्ताव दिया था लेकिन प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था।

सरोजिनी नगर मिनी मार्केट ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक रंधावा ने ग्राहकों की कमी के कारण कपड़ों के नहीं बिकने पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे लिए पाबंदियों को कम किया जाना चाहिए। दुकानदारों ने सर्दियों का सामान खरीदा है और अब उन्हें खरीदने के लिए कोई ग्राहक नहीं है, वे अगले साल तक सामान कहां रखेंगे? उनके पास गोदाम का किराया देने के लिए पैसे नहीं हैं।’’
उन्होंने कहा कि इस स्थिति ने इन दुकानों के श्रमिकों को अपने गृहनगर लौटने के लिए मजबूर कर दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘इन दुकानों पर अधिकांश कर्मचारी उत्तर प्रदेश और बिहार से आते हैं। वे यहां किराए पर रहते हैं, लेकिन सम-विषम के आधार पर दुकानें खुलने के कारण, दुकानदार उन्हें उन दिनों के लिए भुगतान करने के लिए मजबूर होते हैं जितने दिन दुकान खुलती है, जैसे कि 10 दिनों के लिए।’’
रंधावा ने कहा, ‘‘उनमें से कई अपने घर के लिए निकल गए हैं क्योंकि वे अपना गुजारा नहीं कर पा रहे थे।’’ उन्होंने कहा कि सरकार को कम से कम उन बाजारों को खोलने की अनुमति देनी चाहिए जिन्हें जिला अधिकारियों से ‘टीके की दोनों खुराक दिये जाने का प्रमाण पत्र’ मिला है।

पश्चिमी दिल्ली के तिलक नगर बाजार के एक दुकानदार मोहन कपूर ने व्यापार की कमी पर अफसोस जताया और कहा कि उन्होंने कुछ पैसे बचाने के लिए भोजन के खर्च में कटौती की है। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने दोपहर का भोजन करना बंद कर दिया है और दिन में केवल एक ही बार भोजन करता हूं। मैं और मेरी पत्नी यह सुनिश्चित करते हैं कि हमारा बच्चा तीन बार भोजन करे लेकिन हमने अपने भोजन में कटौती की है।’’
कपूर ने कहा कि जब उन्होंने पिछले दो लॉकडाउन से होने वाले नुकसान से उबरना शुरू किया था, तो मौजूदा पाबंदियों ने उन्हें नीचे ला दिया।

तिलक नगर में महिलाओं के लिए सौंदर्य प्रसाधन बेचने वाले एक दुकानदार ने कहा कि बिल चुकाने के लिए उसे अपनी पत्नी के गहने गिरवी रखने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘मेरी दुकान किराए पर है। मुझे अपने घर के लिए ईएमआई का भुगतान करना होगा जिसे मैंने 2020 के लॉकडाउन से पहले खरीदा था। पिछले दो लॉकडाउन के दौरान मेरी सारी बचत समाप्त हो गई थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर जल्द ही पाबंदियों में ढील नहीं दी गई, तो मुझे खर्चों को पूरा करने के लिए पत्नी के आभूषणों को गिरवी रखना पड़ सकता है।’’


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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