उच्चतम न्यायालय ने एआईएफएफ के मामलों के प्रबंधन के लिए समिति नियुक्त की

Edited By Updated: 18 May, 2022 03:42 PM

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नयी दिल्ली, 18 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश ए आर दवे की अध्यक्षता में, अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के मामलों का प्रबंधन करने और राष्ट्रीय खेल संहिता और मानक दिशानिर्देशों के अनुरूप इसके संविधान...

नयी दिल्ली, 18 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश ए आर दवे की अध्यक्षता में, अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के मामलों का प्रबंधन करने और राष्ट्रीय खेल संहिता और मानक दिशानिर्देशों के अनुरूप इसके संविधान को अपनाने के लिए तीन सदस्यीय प्रशासकों की समिति (सीओए) की नियुक्ति की।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति पी.एस़ नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) दवे के अलावा सीओए में दो पूर्व सदस्य डॉ एस .वाई. कुरैशी (पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त) और भास्कर गांगुली (भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान) होंगे।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वर्तमान स्थिति महासंघ के समुचित शासन के हित में नहीं है। पीठ ने सीओए को एआईएफएफ का प्रभार लेने और राष्ट्रीय खेल संहिता और मानक दिशानिर्देशों के अनुसार एआईएफएफ द्वारा संविधान को अपनाने की सुविधा के लिए अदालत को जानकारी प्रदान कर उसकी सहायता करने का निर्देश दिया।
पीठ ने कहा कि सीओए, संविधान के अनुसार एआईएफएफ की कार्यकारी समिति के चुनाव कराने के उद्देश्य से मतदाता सूची तैयार करेगी।
पीठ ने कहा ‘‘प्रशासकों की समिति अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के दिन-प्रतिदिन के शासन का संचालन करेगी। ’’ सीओए को, स्पर्धाओं के आयोजन तथा खिलाड़ियों के चयन और अन्य मामलों में महासंघ की पूर्व समिति की सहायता लेने की स्वतंत्रता होगी।
शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि यह अस्थायी व्यवस्था है ताकि चुनाव कराने और मामले को संविधान के अनुसार लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित निकाय को सौंपने में सुविधा हो। साथ ही पीठ ने उम्मीद जताई है कि चुनाव जल्दी होंगे।
उच्चतम न्यायालय ने 12 मई को दिल्ली फुटबॉल क्लब की उस याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई थी, जिसमें एक समिति और प्रफुल्ल पटेल को एक दशक से अधिक समय तक एआईएफएफ के अध्यक्ष के पद पर अवैध रूप से बनाए रखने का आरोप लगाया गया था।
वकील प्रशांत भूषण ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि दिल्ली उच्च न्यायालय के 2017 के फैसले के खिलाफ फुटबॉल संस्था की याचिका पर सुनवाई नहीं होने के कारण एआईएफएफ का नेतृत्व एक अवैध समिति द्वारा निरंतर किया जा रहा है।

भूषण ने कहा ‘‘2017 में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा फुटबॉल महासंघ के अंतिम चुनाव को रद्द कर दिया गया था। जब इस अदालत में एक विशेष अनुमति याचिका दायर की गई थी, तो अदालत ने खेल संहिता के अनुसार एआईएफएफ के लिए एक संविधान तैयार करने के वास्ते पूर्व चुनाव आयुक्त और खेल सचिव कुरैशी की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की थी। यह बहुत पहले किया जा चुका है। ’’
खेल मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय में एक हलफनामा दायर कर कहा था कि पटेल के पास एआईएफएफ अध्यक्ष के रूप में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि वह पहले ही तीन कार्यकाल पूरे कर चुके हैं और राष्ट्रीय निकाय को बिना किसी देरी के चुनाव कराना चाहिए।
हलफनामा एआईएफएफ और खेल मंत्रालय द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) के संबंध में दायर किया गया था।



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