Edited By PTI News Agency,Updated: 30 Jun, 2022 05:23 PM
नयी दिल्ली, 30 जून (भाषा) राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश की समुद्री सुरक्षा से जुड़ी सभी एजेंसियों के बीच निर्बाध समन्वय आवश्यक है।
नयी दिल्ली, 30 जून (भाषा) राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश की समुद्री सुरक्षा से जुड़ी सभी एजेंसियों के बीच निर्बाध समन्वय आवश्यक है।
बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य के संदर्भ में, डोभाल ने कहा कि हिंद महासागर, जो एक ‘‘शांति का सागर’ रहा है, प्रतिद्वंद्विता और प्रतिस्पर्धा देख रहा है और भारत को अपने हितों की रक्षा करने की आवश्यकता है क्योंकि इस क्षेत्र में हितों के टकराव की आशंका है।
डोभाल ने विविध-एजेंसी समुद्री सुरक्षा समूह (एमएएमएसजी) की पहली बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि समुद्री सुरक्षा तंत्र से जुड़ी हुई सभी एजेंसियों और अन्य हितधारकों को भारत की प्रगति तथा विकास के समग्र दृष्टिकोण के साथ आपसी समन्वय स्थापित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि तेजी से बदलते हालात तथा बेहद जटिल और चुनौतीपूर्ण परिदृश्य में समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा पर ध्यान देना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मौजूदा भू-राजनीतिक घटनाक्रमों के मद्देनजर समुद्री सुरक्षा अधिक महत्वपूर्ण हो गयी है।
सभी 13 तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ भारतीय नौसेना और अन्य केंद्रीय एजेंसियों के शीर्ष समुद्री और तटीय सुरक्षा अधिकारियों को संबोधित करते हुए, डोभाल ने कहा कि समुद्री क्षेत्रों में सुरक्षा और आर्थिक हित का अटूट संबंध है और सभी हितधारकों को एकजुट होकर काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें एक राष्ट्र के रूप में मजबूत होना है। जब तक भारत के पास एक मजबूत सुरक्षा प्रणाली नहीं होगी, वह वैसी शक्ति नहीं बन पाएगा जिसका वह हकदार है।’’
बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक वाइस एडमिरल (सेवानिवृत्त) जी अशोक कुमार ने की।
कुमार ने इस साल 16 फरवरी को देश के पहले राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक के तौर पर प्रभार संभाला था।
हिंद महासागर को देश के लिए एक ‘बड़ी संपत्ति’ बताते हुए डोभाल ने कहा कि एक प्रमुख समुद्री शक्ति के रूप में भारत की जिम्मेदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘‘हम जितना अधिक विकास करेंगे, उतनी ही अधिक संपत्ति बनाएंगे, हम उतने ही समृद्ध होंगे, समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा की आवश्यकता उतनी ही अधिक होगी।’’
डोभाल ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा चर्चा में भूमि और समुद्री सीमाओं का महत्व बहुत अलग है। उन्होंने कहा कि जासूसी गतिविधियों को अंजाम देने वाली विदेशी खुफिया एजेंसियों की पहुंच रोकना एक बड़ी चुनौती है।
उन्होंने समुद्री क्षेत्र में समान विचारधारा वाले देशों के बीच सहयोग के लिए कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन जैसी पहलों का भी उल्लेख किया और कहा कि इसका और विस्तार किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘एक प्रमुख समुद्री शक्ति के रूप में हमारी जिम्मेदारी बहुत महत्वपूर्ण है।’’
डोभाल ने राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक (एनएमएससी) के महत्व को रेखांकित करते हुए 26/11 के मुंबई हमले का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मानक संचालन प्रक्रियाओं को बनाने की जरूरत है और सभी हितधारकों और एजेंसियों को समुद्री सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के वास्ते समान रूख अपनाने की जरूरत है।
बैठक में केंद्र सरकार के प्रमुख मंत्रालयों, एजेंसियों और समुद्री मामलों से निपटने वाले सुरक्षा बलों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शीर्ष स्तर पर समुद्री सुरक्षा मामलों के समन्वय में सुधार के लिए एक बड़े फैसले के तहत पिछले साल नवंबर में एनएसए के तहत एनएमएससी का पद सृजित करने को मंजूरी दी थी।
इस पहल का उद्देश्य भौगोलिक और कार्यात्मक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए भारत की समुद्री सुरक्षा के लिए एक सहज दृष्टिकोण सुनिश्चित करना था।
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