अडाणी मामले की जेपीसी या न्यायिक जांच की मांग कर रहे विपक्ष का संसद में हंगामा, कार्यवाही बाधित

Edited By Updated: 02 Feb, 2023 07:04 PM

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नयी दिल्ली, दो फरवरी (भाषा) संसद में बृहस्पतिवार को कांग्रेस समेत कई दलों के सदस्यों ने अडाणी समूह से जुड़े मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) या उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश से जांच कराने की मांग को लेकर नारेबाजी और हंगामा किया जिससे...

नयी दिल्ली, दो फरवरी (भाषा) संसद में बृहस्पतिवार को कांग्रेस समेत कई दलों के सदस्यों ने अडाणी समूह से जुड़े मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) या उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश से जांच कराने की मांग को लेकर नारेबाजी और हंगामा किया जिससे दोनों सदन की बैठक एक बार के स्थगन के बाद दोपहर करीब दो बजे पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।

संसद के बजट सत्र के तीसरे दिन लोकसभा की बैठक शुरू होने पर अध्यक्ष ओम बिरला ने जैसे ही प्रश्नकाल शुरू कराया, कांग्रेस समेत लगभग सभी विपक्षी दलों के सदस्य आसन के पास आकर नारेबाजी करने लगे। वे अडाणी समूह को लेकर आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर चर्चा कराने की और समूह की कारोबारी प्रक्रियाओं की जांच कराने की मांग पर नारेबाजी कर रहे थे।

हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों से उनके स्थान पर जाने की अपील करते हुए बिरला ने प्रश्नकाल चलने देने का अनुरोध किया और कहा कि बिना तथ्यों के कोई बात नहीं की जानी चाहिए।

इस दौरान अध्यक्ष बिरला ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्य पूनम मदाम को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) से संबंधित पूरक प्रश्न पूछने को कहा, लेकिन हंगामे के कारण वह पूरक प्रश्न नहीं पूछ सकीं।

अध्यक्ष बिरला ने हंगामा कर रहे सदस्यों से कहा, ‘‘प्रश्नकाल महत्वपूर्ण समय होता है। विधान मंडल अध्यक्षों के (हाल में हुए) सम्मेलन में चिंता व्यक्त करते हुए कहा गया था कि प्रश्नकाल चलना चाहिए।’’
उन्होंने विपक्षी सदस्यों से कहा, ‘‘आप बुनियादी सवाल उठाएं। मैं आपको पर्याप्त समय दूंगा। आप सदन की मर्यादा नहीं रखना चाहते। बिना तथ्यों के कोई बात नहीं कीजिए।’’ हंगामा नहीं थमने पर अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही कुछ ही मिनट बाद अपराह्न दो बजे तक स्थगित कर दी।

सदन की बैठक दोपहर दो बजे जब फिर शुरू हुई तो हंगामा जारी रहा। कई सदस्य नारेबाजी करते हुए आसन के निकट पहुंच गए। शोर-शराबे के बीच पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने आवश्यक कागजात सदन के पटल पर रखवाए।

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने नारेबाजी कर रहे विपक्षी सदस्यों से सदन चलने देने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति महोदया (द्रौपदी मुर्मू) ने दोनों सदनों को संबोधित किया है। अभिभाषण पर लाए जाने वाले धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा महत्वपूर्ण होती है। यह उनका (राष्ट्रपति मुर्मू का) पहला अभिभाषण है। इस पर चर्चा करिये। सदन चर्चा के लिए होता है।’’
जोशी ने कहा, ‘‘आपसे हाथ जोड़कर निवेदन करता हूं कि चर्चा आरंभ करिये।’’
पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने भी विपक्षी सदस्यों से सदन चलने देने की अपील की। हंगामा नहीं थमने पर उन्होंने अपराह्न दो बजकर करीब पांच मिनट पर बैठक शुक्रवार पूर्वाह्न 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
उधर, राज्यसभा में भी विभिन्न मुद्दों पर कार्य स्थगन के प्रावधान वाले नियम 267 के तहत चर्चा कराने की मांग पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण कार्यवाही बाधित रही और बैठक को एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे के कुछ ही मिनट बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया।

विपक्ष के हंगामे के कारण उच्च सदन में शून्यकाल एवं प्रश्नकाल नहीं हो पाए।
उच्च सदन में आज पूर्वाह्न 11 बजे कार्यवाही आरंभ होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने पूर्व केंद्रीय मंत्री शांति भूषण के निधन का उल्लेख किया। उनके योगदान की सराहना करते हुए धनखड़ ने कहा कि शांति भूषण उच्च सदन के पूर्व सदस्य थे।

इसके बाद सदस्यों ने उनके सम्मान में कुछ देर मौन रखा।

धनखड़ ने इसके बाद सदन को बताया कि उन्हें विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी, आम आदमी पार्टी (आप) के संजय सिंह, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के तिरुची शिवा सहित कुल नौ सदस्यों की ओर से नियम 267 के तहत नोटिस मिले हैं।

उन्होंने पूर्व की अपनी व्यवस्था का हवाला देते हुए कहा कि इनमें से कोई भी नोटिस स्वीकार किए जाने की अनिवार्यताओं को पूरा नहीं करता है, लिहाजा उन्होंने इन्हें अस्वीकार कर दिया।

उनके ऐसा कहते ही विपक्षी दलों के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया।

धनखड़ ने सदस्यों से सदन में शांति और व्यवस्था बहाल करने का अनुरोध किया लेकिन अपनी बात का असर न होते देख उन्होंने सदन की कार्यवाही 11 बजकर सात मिनट पर दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

दोपहर दो बजे बैठक फिर शुरू होने पर सभापति धनखड़ ने राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पेश करने और उस पर चर्चा कराने के लिए कहा। किंतु विपक्षी सदस्यों ने नियम 267 के तहत सदन में चर्चा कराने की मांग शुरू कर दी। सदन में हंगामा शुरू होने के कारण सभापति ने दोपहर दो बजकर तीन मिनट पर बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।

नेता प्रतिपक्ष के कार्यालय के अनुसार, कांग्रेस नेता खरगे ने नियम 267 के तहत बाजार मूल्य खोने वाली कंपनियों में एलआईसी, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों के निवेश के मुद्दे पर चर्चा का नोटिस दिया था।

शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी ने एलआईसी, एसबीआई आदि की ‘‘होल्डिंग्स के ओवरएक्सपोजर’’ की रिपोर्ट की गई घटनाओं के आलोक में तत्काल सार्वजनिक महत्व के मामले पर चर्चा कराने का नोटिस दिया था।

इस बीच राज्यसभा में विपक्ष के नेता खरगे ने आज दोपहर कई विपक्षी दलों के नेताओं की मौजूदगी में विजय चौक पर संवाददाताओं से बातचीत में अडाणी प्रकरण में आम लोगों तथा एलआईसी एवं एसबीआई के हितों को ध्यान में रखते हुए इस मुद्दे की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने या उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश से जांच कराये जाने की मांग की।

खरगे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम यह कहना चाहते हैं कि सरकार क्यों दबाव बनाकर ऐसी कंपनियों को कर्ज दिलवा रही है?’’
उन्होंने कहा, ‘‘लोगों के हित में ध्यान रखते हुए... एलआईसी, एसबीआई के निवेश को ध्यान में रखते हुए हम चर्चा की मांग कर रहे हैं। हमारी मांग है कि या तो जेपीसी गठित करके इसकी जांच हो या उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश के नेतृत्व में इसकी जांच हो।’’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता खरगे ने कहा, ‘‘जांच होने पर प्रतिदिन रिपोर्ट जनता के समक्ष रखी जाए ताकि पारदर्शिता रहे और लोगों को विश्वास रहे कि उनका पैसा बचा है।’’


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
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