तेलंगाना में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एम. शशिधर रेड्डी ने पार्टी छोड़ी, भाजपा में होंगे शामिल

Edited By Updated: 23 Nov, 2022 10:36 AM

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हैदराबाद, 22 नवंबर (भाषा) तेलंगाना में कांग्रेस को झटका देते हुए वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री एम. शशिधर रेड्डी ने मंगलवार को पार्टी छोड़ दी।

हैदराबाद, 22 नवंबर (भाषा) तेलंगाना में कांग्रेस को झटका देते हुए वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री एम. शशिधर रेड्डी ने मंगलवार को पार्टी छोड़ दी।
शशिधर रेड्डी ने कहा कि वह 25 नवंबर को दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होंगे।

एम. शशिधर रेड्डी अविभाजित आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एम. चन्ना रेड्डी के बेटे हैं। शशिधर रेड्डी, कई दशकों से एक निष्ठावान कांग्रेसी थे और उन्होंने तेलंगाना कांग्रेस के नेताओं के 'कांग्रेस लॉयलिस्ट्स फोरम' का नेतृत्व भी किया। उन्होंने अपना त्यागपत्र कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भेज दिया है।
उन्होंने कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी को अपने इस्तीफे के कारणों बताते हुए एक पत्र भी लिखा है। उन्होंने पत्र में, पार्टी मामलों में कथित तौर पर पैसे के बढ़ते प्रभाव, तेलंगाना में सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) से प्रभावी ढंग से मुकाबला करने में कांग्रेस की विफलता और कांग्रेस प्रभारियों और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों के खराब कामकाज के बारे में लिखा है।

रेड्डी ने 1960 के दशक में पार्टी का चुनाव चिह्न जब 'बैल का जोड़ा' और उसके बाद 'गाय और बछड़ा' था, तब से खुद के और अपने दिवंगत पिता के कांग्रेस के साथ पुराने संबंध को याद करते हुए कहा कि उनके पिता की ही सलाह पर बाद में इंदिरा गांधी ने ‘‘हाथ’’ का चिह्न चुना था। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी के मामलों में पैसे का दबदबा बढ़ रहा है।

उन्होंने सोनिया गांधी को लिखे पत्र में कहा, ‘‘वे (कांग्रेस प्रभारी) आलाकमान के प्रतिनिधियों के रूप में कार्य करने में लगातार विफल रहे हैं और लगातार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों के व्यक्तिगत एजेंडे को बढ़ावा देने में सहयोग करते रहे हैं तथा पार्टी के हितों की रक्षा करने में विफल रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे पर्याप्त उदाहरण हैं, जिससे इस संदेह को बल देते हैं कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रेवंत रेड्डी ने जो दरियादिली दिखायी उसका लाभ न केवल तेलंगाना के कांग्रेस प्रभारी मणिकम टैगोर को बल्कि कांग्रेस महासचिव (संगठन) के सी वेणुगोपाल को भी मिला। मैं यह पूरी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं, हालांकि मैंने उनके बीच पैसों का लेन-देन नहीं देखा है।’’
तेलंगाना के गठन का श्रेय सोनिया गांधी को देते हुए शशिधर रेड्डी ने कहा कि हालांकि राज्य में कांग्रेस इसका फायदा नहीं उठा सकी। उन्होंने कहा कि 2014 के बाद से कांग्रेस के चुनावी प्रदर्शन में लगातार गिरावट आई है और पार्टी ने टीआरएस से मुकाबला करने और उसके गलत कामों को चुनौती देने के मौके गंवाए हैं।

उन्होंने दावा किया कि सत्तारूढ़ टीआरएस को 'बेदाग' छोड़ दिया गया और व्यापक रूप से यह महसूस किया गया कि कांग्रेस के कुछ शीर्ष नेताओं ने समझौता किया और इसके परिणामस्वरूप लोगों ने धीरे-धीरे पार्टी नेतृत्व के प्रति विश्वास खोना शुरू कर दिया।

शशिधर रेड्डी ने यह भी आरोप लगाया कि दिग्विजय सिंह से लेकर एक के बाद एक कांग्रेस प्रभारियों ने पार्टी का बहुत नुकसान किया है और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में एक निष्ठावान को नियुक्त करने को लेकर उनके जैसे पार्टी नेताओं के विचारों को नजरअंदाज किया गया।

उन्होंने पार्टी संगठन निर्माण में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रेवंत रेड्डी की कथित विफलता और कुछ वरिष्ठ नेताओं और मुद्दों के प्रति उनके अवांछनीय रवैये के बारे में भी उल्लेख किया।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे लिए, अभी तेलंगाना सबसे पहले है। चूंकि कांग्रेस लोगों के हितों की रक्षा के लिए मुख्य विपक्ष के रूप में अपनी भूमिका प्रतिबद्धता के साथ निभाने में बुरी तरह विफल रही है, इसलिए मैं पार्टी से विदा लेना चाहता हूं..।’’
उन्होंने दिवंगत पी वी नरसिंह राव के प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष रहने के दौरान उन्हें मंत्री बनाने और संप्रग शासन के दौरान उन्हें राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) का उपाध्यक्ष नियुक्त करने के लिए भी कांग्रेस को धन्यवाद दिया।



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