कमाल की है ये रेखा, भाग्यहीन व्यक्ति का करती है भाग्योदय

Edited By ,Updated: 26 Sep, 2016 08:04 AM

mangal rekha

हथेली में कई रेखाएं ऐसी होती हैं जिन्हें हम मुख्य रेखाएं तो नहीं कहते परंतु उनका महत्व किसी भी प्रकार कम नहीं कहा जा सकता। इन

हथेली में कई रेखाएं ऐसी होती हैं जिन्हें हम मुख्य रेखाएं तो नहीं कहते परंतु उनका महत्व किसी भी प्रकार कम नहीं कहा जा सकता। इन रेखाओं का अध्ययन भी अपने आप में अत्यंत जरूरी है। ये रेखाएं स्वतंत्र रूप से या किसी रेखा की सहायक बन कर अपना निश्चित प्रभाव मानव जीवन पर डालती हैं। 


मंगल रेखा 
यह रेखा हथेली के निम्र मंगल क्षेत्र से या जीवन रेखा के प्रारंभिक भाग से निकलती है और शुक्र पर्वत की ओर बढ़ती है। ऐसी रेखाएं एक या एक से अधिक हो सकती हैं। ये सभी रेखाएं पतली, मोटी, गहरी या कमजोर हो सकती हैं परंतु यह स्पष्ट है कि इनका उद्गम मंगल पर्वत ही होता है। इसीलिए इन्हें मंगल रेखाएं कहा जाता है।


इनमें दो भेद हैं। एक तो ऐसी रेखाएं जीवन रेखा के साथ-साथ आगे बढ़ती हैं, अत: उन्हें जीवन रेखा की सहायक रेखा भी कह सकते हैं। कई बार ऐसी रेखाएं जीवन रेखा की समाप्ति तक उनके साथ-साथ चलती हैं। 


जिनके हाथ में ऐसी रेखाएं होती हैं वे व्यक्ति अत्यंत प्रतिभाशाली एवं तीव्र बुद्धि के होते हैं। सोचने और समझने की शक्ति इनमें विशेष रूप से होती है। जीवन में ये जो निर्णय एक बार कर लेते हैं उसे अंत तक निभाने का सामर्थ्य रखते हैं। ऐसे व्यक्ति  पूर्णत: विश्वासपात्र कहे जाते हैं।


ऐसे व्यक्ति जीवन में कोई एक उद्देश्य लेकर आगे बढ़ते हैं और जब तक उस उद्देश्य या लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो जाती, तब तक ये विश्राम नहीं लेते। शारीरिक दृष्टि से ये हृष्ट-पुष्ट होते हैं तथा इनका व्यक्तित्व अपने आप में अत्यंत प्रभावशाली होता है। क्रोध इनके जीवन में बहुत कम रहता है।


दूसरे प्रकार की मंगल रेखाएं वे होती हैं, जो जीवन रेखा का साथ छोड़कर सीधे ही शुक्र पर्वत पर पहुंच जाती हैं। ऐसे व्यक्ति जीवन में लापरवाह होते हैं। उनका स्वभाव चिड़चिड़ा होता है। आवेश में ये व्यक्ति सब कुछ करने के लिए तैयार होते हैं। इनका साथ अत्यंत निम्र स्तर के व्यक्तियों से होता है।


यदि मंगल रेखा से कुछ रेखाएं निकल ऊपर की ओर बढ़ रही हों, तो उनके जीवन में बहुत अधिक इच्छाएं होती हैं और इन इच्छाओं को पूरा करने का ये भगीरथ प्रयत्न करते हैं। यदि ऐसी रेखाएं भाग्य रेखा से मिल जाती हैं, तो व्यक्ति का शीघ्र ही भाग्योदय होता है। हृदय रेखा से मिलने पर व्यक्ति जरूरत से ज्यादा भावुक तथा सहृदय बन जाता है।


यदि इस प्रकार की मंगल रेखाएं आगे चल कर भाग्य रेखा अथवा सूर्य रेखा को काटती हैं तो उसके जीवन में जरूरत से ज्यादा बाधाएं एवं परेशानियां रहती हैं। यदि इन रेखाओं का संपर्क भाग्य रेखा से हो जाता है तो वह भाग्यहीन व्यक्ति कहलाता है तथा यदि ये मंगल रेखाएं विवाह रेखा को छू लेती हैं तो उसका गृहस्थ जीवन बर्बाद हो जाता है।

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