Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 27 Jul, 2025 09:50 AM

भारतीय रसोई में नॉन-वेज फूड की एक खास जगह है। चिकन करी, मटन बिरयानी, तंदूरी कबाब जैसे व्यंजन सिर्फ स्वाद नहीं बल्कि ताकत और प्रोटीन का प्रतीक माने जाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रोज़-रोज़ मांस खाना आपकी सेहत को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचा सकता...
नेशनल डेस्क: भारतीय रसोई में नॉन-वेज फूड की एक खास जगह है। चिकन करी, मटन बिरयानी, तंदूरी कबाब जैसे व्यंजन सिर्फ स्वाद नहीं बल्कि ताकत और प्रोटीन का प्रतीक माने जाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रोज़-रोज़ मांस खाना आपकी सेहत को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचा सकता है? विशेषज्ञों की मानें तो रोजाना मांस खाने की आदत शरीर में कई बीमारियों को जन्म दे सकती है। आइए जानते हैं किन-किन दिक्कतों का खतरा बढ़ जाता है अगर आप रोज़ खाते हैं नॉन-वेज।
पाचन तंत्र पर असर डालता है रोज़ाना नॉन-वेज खाना
मांस को पचाने में शरीर को हरी सब्जियों या अनाज की तुलना में कहीं ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है। अगर आप हर दिन मांस खा रहे हैं और साथ में फाइबर युक्त चीजें जैसे फल और सब्जियां नहीं ले रहे, तो पेट पर लगातार दबाव बना रहता है। इससे गैस, कब्ज, अपच और पेट फूलने जैसी समस्याएं शुरू हो सकती हैं। लंबे समय तक ऐसा चलता रहा तो यह क्रॉनिक डाइजेशन की समस्या में बदल सकता है।
कोलेस्ट्रॉल और दिल की बीमारियों का खतरा
रेड मीट यानी मटन या बीफ में सैचुरेटेड फैट की मात्रा अधिक होती है। यह शरीर में "बैड कोलेस्ट्रॉल" (LDL) को बढ़ाता है, जिससे ब्लड वेसल्स में फैट जमा होने लगता है। परिणामस्वरूप, दिल की बीमारियां, हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। यदि आप अपने दिल की सेहत को लेकर सतर्क हैं, तो रोज़ाना नॉन-वेज खाने से बचना बेहतर होगा।
किडनी पर बढ़ता है ज़रूरत से ज़्यादा प्रोटीन का दबाव
नॉन-वेज में प्रोटीन तो होता है, लेकिन जब इसे जरूरत से ज्यादा मात्रा में खाया जाता है तो शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। इससे किडनी पर बोझ बढ़ता है और समय के साथ यह किडनी स्टोन या किडनी फेलियर जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। खासकर वे लोग जो पहले से ही किडनी संबंधी परेशानियों से जूझ रहे हैं, उन्हें नॉन-वेज का सेवन सीमित करना चाहिए।
एसिडिटी और गैस की शिकायत
डेली नॉन-वेज खाने से पेट में एसिड बनना बढ़ जाता है। इससे सीने में जलन, खट्टी डकारें, पेट में भारीपन और गैस जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे, तो यह अल्सर जैसी खतरनाक बीमारी का रूप भी ले सकती है। इसलिए पेट की सेहत का ख्याल रखते हुए नॉन-वेज का सेवन सीमित करें।
कैंसर का खतरा भी कर सकता है बढ़ा
कुछ शोध यह दर्शाते हैं कि रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट का अधिक सेवन आंतों के कैंसर (कोलन कैंसर) का खतरा बढ़ा सकता है। खासकर तब, जब मांस को ज़्यादा तल कर या ज़रूरत से ज़्यादा पकाया गया हो। डीप फ्राइड या ओवरकुक्ड मांस में कैंसरजनक तत्व उत्पन्न हो सकते हैं जो आंतों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
मोटापा और मेटाबॉलिक समस्याएं
मांस में कैलोरी और फैट की मात्रा काफी अधिक होती है। अगर आप हर दिन मांस खाते हैं और शारीरिक श्रम या व्यायाम नहीं करते, तो यह वजन बढ़ने का कारण बन सकता है। मोटापा न केवल आपके शरीर को थका देता है बल्कि यह डायबिटीज, थायरॉइड और हॉर्मोनल असंतुलन जैसी मेटाबॉलिक बीमारियों की जड़ बन सकता है।