Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 04 Aug, 2025 12:11 PM

कैंसर जैसे गंभीर रोग से जूझ रहे मरीजों के लिए अब एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो बिना किसी इंजेक्शन या रेडिएशन के कैंसर की शुरुआती पहचान करने में सक्षम है। यह तकनीक खासतौर पर मायलोमा (एक प्रकार का ब्लड...
नेशनल डेस्क: कैंसर जैसे गंभीर रोग से जूझ रहे मरीजों के लिए अब एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो बिना किसी इंजेक्शन या रेडिएशन के कैंसर की शुरुआती पहचान करने में सक्षम है। यह तकनीक खासतौर पर मायलोमा (एक प्रकार का ब्लड कैंसर) के मामलों में कारगर साबित हुई है और भविष्य में यह कैंसर जांच और इलाज की दिशा ही बदल सकती है।
क्या है यह नई खोज?
ब्रिटेन के रॉयल मार्सडेन एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट और लंदन के कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिकों ने एक अनोखी स्कैनिंग तकनीक विकसित की है। इसमें मरीज के पूरे शरीर का MRI (मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग) स्कैन किया जाता है, जिससे कैंसर के छोटे-छोटे अंश भी पकड़ में आ जाते हैं, जिन्हें सामान्य जांच में पहचानना लगभग नामुमकिन होता है। इस तकनीक से MRD यानी मिनिमल रिजिडुअल डिजीज का पता लगाया जा सकता है।
कैसे की गई रिसर्च?
इस रिसर्च में कुल 70 मायलोमा मरीजों को शामिल किया गया। इन सभी मरीजों को स्टेम सेल ट्रांसप्लांट दिया गया था। उन्हें ट्रांसप्लांट से पहले और बाद में यह नया MRI स्कैन कराया गया। रिसर्च में चौंकाने वाला तथ्य यह सामने आया कि इलाज के बाद भी हर तीन में से एक मरीज के शरीर में कैंसर के अंश मौजूद थे। यह कैंसर केवल इसी नई स्कैनिंग तकनीक से पकड़ में आया, बाकी सभी पारंपरिक टेस्ट जैसे ब्लड रिपोर्ट्स और बायोप्सी पूरी तरह सामान्य निकले। इसके अलावा जिन मरीजों में MRD मिला उनकी ओवरऑल सर्वाइवल रेट कम रही, जिससे यह साबित होता है कि समय रहते पहचान ही जान बचा सकती है।
MRI स्कैनिंग क्यों है खास?
यह स्कैनिंग तकनीक पूरी तरह से रेडिएशन फ्री है। इसमें किसी भी तरह की सुई या इंजेक्शन की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे यह प्रक्रिया न केवल दर्द रहित होती है बल्कि सुरक्षित भी होती है। खासकर उन मरीजों के लिए जिन्हें बार-बार कैंसर की निगरानी के लिए स्कैन कराना पड़ता है, उनके लिए यह तकनीक बहुत लाभकारी है। इसमें शरीर को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता।
मरीज की कहानी: कैसे बची जान
इस नई तकनीक की मदद से 57 वर्षीय एक मरीज रॉयल मार्सडेन की जान समय रहते बचा ली गई। उन्होंने बताया कि इस स्कैनिंग की वजह से उनके शरीर में मौजूद कैंसर को जल्द पहचान लिया गया और उनका इलाज समय पर शुरू हो गया। इसके कारण न केवल उनकी जान बची बल्कि वे दोबारा फाइटर जेट उड़ाने और ऑपरेशनल ड्यूटी पर लौट सके। यह इस बात का जीवंत उदाहरण है कि तकनीक कैसे किसी की ज़िंदगी बदल सकती है।
वैज्ञानिकों की क्या है राय?
इस रिसर्च से जुड़े प्रोफेसर क्रिस्टीना मेसिउ का कहना है कि यह MRI तकनीक इलाज की प्रतिक्रिया को समझने में मदद करती है और पारंपरिक जांचों से जो कैंसर छूट जाते हैं उन्हें भी पहचान लेती है। वहीं प्रोफेसर मार्टिन काइजर ने इसे “गोल्ड स्टैंडर्ड प्रिसिजन इमेजिंग” बताया है। उनका मानना है कि यह तकनीक मायलोमा के इलाज को एक नई दिशा दे सकती है।