Edited By Parveen Kumar,Updated: 17 Sep, 2025 09:49 PM

नेपाल में भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिससे लोगों में दहशत फैल गई। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.0 दर्ज की गई। भूकंप के झटके महसूस होते ही लोग घरों से निकलकर इधर-उधर भागने लगे।
नेशनल डेस्क: नेपाल में भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिससे लोगों में दहशत फैल गई। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.0 दर्ज की गई। भूकंप के झटके महसूस होते ही लोग घरों से निकलकर इधर-उधर भागने लगे।
नेपाल में हर साल औसतन छोटे-मध्यम के कई भूकंप आते हैं। हिमालय क्षेत्र में प्लेटों की टक्कर से लगातार तनाव जमा होता है, जो भूकंप का कारण बनता है। यहां अधिकांश इमारतें भूकंप-रोधी नहीं हैं, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों और काठमांडू जैसे घनी आबादी वाले शहरों में, भूकंप अक्सर भूस्खलन को ट्रिगर करते हैं, जो पहाड़ी क्षेत्रों में नुकसान को बढ़ाते हैं।
आज के 10 साल पहले 25 अप्रैल 2015 को नेपाल 7.8 तीव्रता के भूकंप काफी तबाही मचाई थी। इसमें लगभग 9,000 लोग मारे गए थे, 22,000 से अधिक घायल हुए थे। इस आपदा ने काठमांडू घाटी में सदियों पुराने मंदिरों और शाही महलों सहित स्मारकों को भी ध्वस्त कर दिया था। इन जगहों पर दुनियाभर से पर्यटक घूमने आते थे।
विनाशकारी भूकंप में काठमांडू, ललितपुर और भक्तपुर की 90 फीसदी प्राचीन विरासतें नष्ट हो गईं। पशुपतिनाथ मंदिर का परिसर और स्वयंभूनाथ क्षेत्र जैसे कई धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचा था। हालांकि इसके 10 साल बाद अब हजारों स्कूलों, हॉस्पिटल और सार्वजनिक भवनों के साथ-साथ नष्ट हुए करीब 90 फीसदी घरों को रिबिल्ड किया गया है।
मंदिर और सांस्कृतिक स्थल भी धीरे-धीरे फिर से खड़े हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भले काठमांडू में अधिक सुदृढ़ इमारतें दिख रही हों, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के बुनियादी ढांचे काफी कमजोर हैं।