पश्चिम बंगाल में कोविड-19 के मद्देनजर स्कूल बंद, राजनीतिक दलों ने बड़ी रैलियां नहीं करने का ऐलान किया

Edited By Updated: 20 Apr, 2021 12:12 AM

pti west bengal story

कोलकाता, 19 अप्रैल (भाषा) पश्चिम बंगाल में कोविड-19 संकट की छाया लंबे विधानसभा चुनाव कार्यक्रम पर भी पड़ गई है। राजनीतिक दलों ने घोषणा की है कि वे चुनाव के शेष तीन चरणों में विशाल रैलियां नहीं करेंगे। साथ ही सोमवार को राज्य में सभी स्कूलों को...

कोलकाता, 19 अप्रैल (भाषा) पश्चिम बंगाल में कोविड-19 संकट की छाया लंबे विधानसभा चुनाव कार्यक्रम पर भी पड़ गई है। राजनीतिक दलों ने घोषणा की है कि वे चुनाव के शेष तीन चरणों में विशाल रैलियां नहीं करेंगे। साथ ही सोमवार को राज्य में सभी स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया।

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार राज्य में सोमवार को एक दिन में कोरोना वायरस संक्रमण के सबसे अधिक 8,426 मामले सामने आए और संक्रमण के चलते 38 लोगों की मौत हुई।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार लॉकडाउन या रात्रि कर्फ्यू लगाने के पक्ष में नहीं है लेकिन उन्होंने सभी सरकारी और निजी कार्यालयों को 50 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ काम करने का आदेश दिया।
राज्य सरकार ने कहा कि कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर स्कूलों में ग्रीष्मकालीन अवकाश 20 अप्रैल से शुरू हो जाएगा।

आमतौर पर ग्रीष्मकालीन अवकाश मई के पहले हफ्ते से शुरू होता है।

राज्य सरकार के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा, ‘‘(सरकारी और वित्तपोषित स्कूलों में) नौवीं, दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं की कक्षाएं मध्य फरवरी से आरंभ हुई थीं लेकिन कोविड-19 संबंधी हालात को देखते हुए हम समय पूर्व ग्रीष्मकालीन अवकाश करने पर मजबूर हैं। शिक्षा विभाग इस बाबत आवश्यक अधिसूचना आज जारी करेगा।’’
उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों से भी यही करने का अनुरोध किया जाएगा।

पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली ने एक अधिसूचना में कहा कि लू और मौजूद हालात को देखते हुए बोर्ड से संबद्ध स्कूलों में 20 अप्रैल से ग्रीष्मकालीन अवकाश शुरू हो जाएगा। अगले आदेश तक अवकाश जारी रहेगा।

मालदा में बनर्जी ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए इस बात पर जोर दिया कि बंगाल में रात का कर्फ्यू हो सकता है कि कोई समाधान नहीं हो, जहां ‘‘राजनीतिक प्रदूषण’’ को पहले रोकने की जरूरत है।

मुख्यमंत्री ने हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया कि ‘‘राजनीतिक प्रदूषण’’ से उनका वास्तव में क्या आशय है।

स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार द्वारा अस्पतालों में कोविड-19 बिस्तरों की संख्या बढ़ाने जैसे उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने सभी कार्यालयों से अनुरोध किया कि वे फिलहाल 50 प्रतिशत कार्यबल के साथ काम करें।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं सभी से आग्रह करूंगी कि वे घबराएं नहीं। हमने कोविड-19 के मामलों में वृद्धि से निपटने के लिए एक कार्यबल का गठन किया है। हमने बिस्तर, ‘सेफ होम’ की संख्या बढ़ायी है।’’
बनर्जी ने केंद्र सरकार से टीकों और दवाओं की सुचारू आपूर्ति सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने और टीकों की मांग की है, क्योंकि इसकी भारी कमी है। केंद्र को टीकों, दवाओं और ऑक्सीजन सिलेंडरों की सुचारू आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए।’’
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ'ब्रायन ने ट्वीट किया, ''ममता बनर्जी अब कोलकाता में प्रचार नहीं करेंगी। शहर में 26 अप्रैल को मतदान के अंतिम दिन केवल सांकेतिक सभा होगी। उन्होंने सभी जिलों में अपनी सभी चुनावी रैलियों के समय में कटौती की है। उनके भाषण केवल 30 मिनट के होंगे।''
इस बीच, भाजपा ने एक बयान में कहा कि वह राज्य में अब चुनाव प्रचार के दौरान बड़ी जनसभाएँ नहीं करेगी।

बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत पार्टी के सभी नेता छोटी-छोटी जनसभाएं करेंगे, जिसमें अधिकतम 500 लोग शामिल हो सकेंगे।

इससे पहले माकपा भी राज्य में बड़ी रैलियां नहीं करनी करने की घोषणा कर चुकी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी पश्चिम बंगाल में अपनी रैलियां निलंबित कर चुके हैं।



यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
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